Monday, April 16, 2012

जो शेष है, चर्चा में है


ज्‍योतिपर्व प्रकाशन, दिल्‍ली से प्रकाशित मेरे कविता संग्रह ‘वह, जो शेष है’ पर मित्रों ने अपने ब्‍लागों पर समीक्षाएं लिखीं हैं और उसके बहाने से कुछ और चर्चाएं भी कीं हैं। संभव है कि उनकी ये पोस्‍ट आपकी नज़र में आ गई हों। जिन्‍होंने न देखीं हों उनकी सुविधा के लिए लिंक यहां दे रहा हूं। कृपया एक बार अवश्‍य देखें और अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें।

कुछ मित्र संग्रह अभी पढ़ रहे हैं। उन्‍होंने वादा किया है कि वे भी जल्‍द ही उस पर प्रतिक्रिया लिखेंगे।

                                      0 राजेश उत्‍साही 

14 comments:

  1. मैं भी एक हूँ, राजेश भाई ....
    सलिल(चला बिहारी ...) के ब्लॉग पर बेहतरीन प्रतिक्रियाएं आ रही हैं फिलहाल मैं उनका आनंद ले रहा हूँ, उसके बाद मैं भी कुछ लिखूंगा ...
    इस प्रकाशन के लिए अरुण चन्द्र राय का आभार !

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    1. आपकी समीक्षा का इंतजार रहेगा।

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  2. सभी ब्लोग्गेर्स की समीक्षाएँ पढ़ लीं....अब सिर्फ किताब पढ़ना शेष है....
    :-)

    अनु

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  3. सभी ब्लोग्गेर्स की समीक्षाएँ पढ़ लीं....अब सिर्फ किताब पढ़ना शेष है....
    :-)

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  4. तीनों समीक्षायें पढ़ी हैं और अब पुस्तक पढ़ने का मन है।

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  5. गुरुदेव और अग्रज हैं आप मेरे.. मेरी यह पोस्ट आपकी रचना धर्मिता, आपकी ईमानदारी, आपके विषय, आपका संघर्ष, आपकी अभिव्यक्ति और उस प्रेरणा के नाम है जो आपने सदा मुझे प्रदान की है... 'साखी' पर यदि आपने मुझे आमंत्रण न दिया होता तो मुझे स्वयं यह ज्ञात न होता कि मैं ग़ज़लों पर इतनी अच्छी प्रतिक्रया दे सकता हूँ और न ही मुझे उन गुरुजन के अनुभवों का लाभ मिल पाता...
    मैं तो इसे समीक्षा मानता भी नहीं क्योंकि उसकी क्षमता नहीं है मुझमें और न समुचित ज्ञान है.. मैं इसे एक ईमानदार प्रतिक्रया, एक लंबी टिप्पणी और आपके प्रति अपना आभार मानता हूँ!!

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  6. पुस्तक प्रकाशन की बधाई । पढने की उत्सुकता बढ़ रही है ।

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  7. मैंने भी पढ़ी है मनोज जी की समीक्षा और सलिल चाचा की समीक्षा..
    सलिल चाचा के ब्लॉग पर तो बहुत ही विस्तृत और अच्छी टिप्पणियां भी आई हैं :)

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  8. हम सलिल जी, मनोज जी और अभिषेक जी तक तो पहुंच ही चुके हैं.

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  9. कल्‍पनाओं के वृक्ष पर विवेक रस्‍तोगी जी भी तो हैं.

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  10. अभिषेक और विवेक जी के लेखों से रू-ब-रू न हो पाया था, जाता हूं यहां से सीधे वहीं।

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  11. hit hai aapki kitab
    bahut achha likhte hai aap
    aap hai lajawab!

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  12. आपका लिखा और समीक्षा सभी लाजवाब हैं ...

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  13. ये काव्य-संग्रह है ही चर्चा में रहने लायक...

    सभी समीक्षाएं पढ़ीं...बहुत उम्दा लिखा है सबने...

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...