Tuesday, December 29, 2009

केवल पढ़ें नहीं कुछ लिखें भी

14नवम्‍बर,2009 को मैंने एक जन्‍मदिन ऐसा भी शीर्षक से एक पोस्‍ट प्रकाशित की थी। यह एक नन्‍हीं बच्‍ची शुभि सक्‍सेना की कविताओं की पुस्‍तक के बारे में थी। इन कविताओं के चित्र भी शुभि ने ही बनाए थे। पर उस समय मैं ये चित्र नहीं दे पाया था। शुभि के पापा हर्ष सक्‍सेना ने अब इस पुस्‍तक के अंदर के कुछ पन्‍नों के चित्र भेजे हैं। तो अब आप शुभि की कुछ और कविताएं उसके चित्रों के साथ पढ़ें। और केवल पढ़ें ही नहीं कुछ लिखें भी। मेरा मतलब है टिप्‍पणी लिखें ताकि शुभि के साथ-साथ मेरा उत्‍साहवर्धन भी हो। शुक्रिया।  

Monday, December 14, 2009

गैस त्रा-सदी यानी न बीतने वाली सदी

भोपाल गैस त्रासदी को देखते ही देखते 25 साल गुजर गए। गैस त्रासदी से जुड़ी जितनी बातें हैं उससे कहीं अधिक उससे जुड़ी यादें हैं। मैं उन दिनों होशंगाबाद में था। पिताजी की पोस्टिंग भोपाल में रेल्‍वे में कंट्रोलर के पद पर थी। कंट्रोल आफिस भोपाल स्‍टेशन से लगा हुआ था। वे रोज भोपाल आना-जाना करते थे। उन्‍हीं दिनों मेरी दादी की तबीयत बहुत खराब थी। कुछ ऐसा संयोग बना कि 2 दिसम्‍बर 1984 की उस रात पिताजी भोपाल नहीं गए। उनके स्‍थान पर जिन सज्‍जन ने मोर्चा संभाला, वे इस त्रासदी का शिकार हो गए। वे ही नहीं उस रात भोपाल रेल्‍वे स्‍टेशन पर जितने लोगों की डयूटी थी उनमें से अधिकांश अब नहीं हैं। हम आज भी उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं।