Sunday, November 27, 2011

एक अध्‍यापक की डायरी ....

27 नवम्‍बर, 2011 को उत्‍तरकाशी में एक सादे किन्‍तु गरिमामय समारोह में ' एक अध्‍यापक की डायरी के कुछ पन्‍ने'  का विमोचन अनंत गंगोला ने किया। इस डायरी में हेमराज भट्ट ने अपने दैनिक अनुभवों को समेटा है। यह डायरी एक अध्‍यापक के संकल्‍प एवं व्‍यवस्‍था के प्रति पैदा हुए समालोचनात्‍मक दृष्टिकोण की स्‍पष्‍ट छटा दिखाती है। साथ ही एक कर्मठ अध्‍यापक की जद्दोजहद को भी हमारे सामने रखती है।  

यहां प्रस्‍तुत हैं इस डायरी के तीन पन्‍ने- 

'बालसखा' हेमराज की यादें

(22.6.1968**25.11.2008)

मित्रो, पिछले बरस मैंने 25 नवम्‍बर को यह पोस्‍ट लगाई थी। 25 नवम्‍बर,2011 को हेमराज भट्ट की तृतीय पुण्‍यतिथि थी। यह पोस्‍ट लगभग ज्‍यों की ज्‍यों फिर से प्रस्‍तुत है। हां इस पोस्‍ट में जो नई बातें हैं वे इसी रंग में हैं। आपमें से बहुत से साथियों ने इस पर पिछले बरस टिप्‍पणी की थी। एक बार फिर से आप सबका स्‍वागत है।  
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हेमराज भट्ट ‘बालसखा’ से मेरी पहली मुलाकात 2000 के आसपास लखनऊ में नालंदा संस्‍था द्वारा आयोजित बालसाहित्‍य निमार्ण की एक कार्यशाला में हुई थी। मैं स्रोत व्‍यक्ति था और हेमराज भागीदार। कार्यशाला में मैंने उसे एक संकोची, चुप रहने वाले और विनम्र व्‍यक्ति के रूप में ही जाना था। बाद में सम्‍पर्क और गहरा हुआ।