Saturday, October 13, 2012

श्रीप्रसाद : हिन्‍दी बालकविता की आत्‍मा


इसे संयोग कहूं या दुर्योग कि लगभग 18 साल पहले मैं जयपुर में श्रीप्रसाद जी के साथ था। और 12 अक्‍टूबर की शाम टोंक से जयपुर पहुंचा तो संदीप नाईक ने फोन पर यह सूचना दी कि श्रीप्रसाद जी नहीं रहे। उनके पास भी यह सूचना एकलव्‍य के गोपाल राठी के मेल से पहुंची। पिछले एक हफ्ते से इंटरनेट से दूरी सी बनी हुई थी,इसलिए बहुत नियमित रूप से मेल देख नहीं पा रहा था। गोपाल का मेल मुझे भी आया था, खोलकर देखा तो उनके मेल पर एक और लिंक थी, रमेश तैलंग जी के ब्‍लाग नानी की चिट्ठियां की। वहां इस बारे में जो जानकारी थी उसके अनुसार उन्‍हें प्रकाश मनु जी ने फोन करके इस दुखद खबर के बारे में बताया था। श्रीप्रसाद जी दिल्‍ली आए थे, अपने हृदय रोग की चिकित्‍सा के सिलसिले में। संभवत: उन्‍हें वहां दिल का दौरा पड़ा और वे सबसे विदा ले गए। (फोटो रमेश तैलंग जी के ब्‍लाग से साभार।) 

Monday, October 1, 2012

सत्‍याग्रह और गंदा काम


गांधी जयंती पर सबको आना था और समय पर आना था।
जो बच्‍चे लेट आए उन्‍हें सजा दी गई। स्‍कूल का परिसर साफ करो। कचरा बीनो और उसे कूड़ेदान में डालो।
बच्‍चों ने सत्‍याग्रह कर दिया। और जो भी करवाना हो करवाओ, पर हम यह गंदा काम नहीं करेंगे।
                                      0राजेश उत्‍साही