Friday, January 27, 2012

रास्‍ता इधर है...


                                                  फोटो: राजेश उत्‍साही 
...बश्‍ार्ते तय करो,
किस ओर हो तुम, अब 
सुनहले ऊर्ध्‍व-आसन के
दबाते पक्ष में,  अथवा 
कहीं उससे लुटी-टूटी
अंधेरी कक्षा में तुम्‍हारा मन 
कहां हो तुम ?
0 मुक्तिबोध
(मुक्तिबोध की लम्‍बी कविता 'चकमक' का एक अंश) 

Wednesday, January 18, 2012

मुलाकात बिनायक सेन से

18 जनवरी, 2012 की दोपहर बिनायक सेन को सुनना और उनसे मुलाकात, इस साल की पहली महत्‍वपूर्ण घटना मानी जा सकती है। बिनायक सेन कलकत्‍ता से लौटे थे और अज़ीमप्रेमजी विश्‍वविद्यालय,बंगलौर में फैकल्‍टी और विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। विश्‍वविद्यालय का 50 सीटों वाला ‘साबरमती’ क्‍लास रूम जिसे इस तरह की चर्चा के लिए उपयोग किया जाता है, ठसाठस भरा था। कुछ नहीं तो लगभग डेढ़सौ श्रोता वहां थे। तमाम लोग नीचे फर्श पर ही बैठे थे। कुछ तो बिनायक सेन जहां खडे थे, उनके पैरों के पास ही जम गए थे। हर कोई उन्‍हें सुनना और देखना चाह रहा था।

Tuesday, January 10, 2012

अनुपम कविताएं


बहुत दिनों से
नहीं हुई मुलाकात
अपने से
किसी ने कहा-
अपने बारे में कहो।
मैंने कहा-
मैं थी... थी... थी..
                (साक्षात्‍कार)

यह परिचय है अनुपमा तिवाड़ी का। उनसे मिले बहुत समय नहीं बीता। कोई छह महीने पुरानी पहचान है। पहली मुलाकात में ही वे बातचीत में अपनी कविताओं को कोट करती हुईं,प्रस्‍तुत हुईं थीं। यह मुलाकात उनसे राजस्‍थान में सुदूर टोंक में हुई थी। दूसरी मुलाकात में वे अपने पहले कविता संग्रह के साथ बंगलौर में मेरे सामने थीं। कुछ संयोग ऐसा है कि हम दोनों एक ही संस्‍थान में कार्यरत हैं।