Saturday, December 31, 2011

स्‍वागत इक्‍कीस के बारह


फोटो: राजेश उत्‍साही



अलविदा इक्‍कीस के ग्‍यारह
साथ इतना ही था  हमारा,
 न  देखो यूं  ठिठककर
बीता समय कब आता दोबारा।


                                                                                       फोटो: राजेश उत्‍साही 







पांव में बांधकर पैजनिया
रेत खंगलाती है मुनिया,
स्‍वागत इक्‍कीस के बारह
तुमको भी परखेगी दुनिया।
                   0  राजेश उत्‍साही 

17 comments:

  1. बारह पर दर्जनों-दर्जन शुभकामनाएं.

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  2. इनके लिए तो क्या बीता , क्या आता ।

    नव वर्ष की शुभकामनायें ।

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  3. आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं!!

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  4. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  5. प्रतीक्षा रहेगी कुछ सार्थक पाने की।

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  6. NAI DOONIYA ME
    BAARAH ME
    HOGEE SAYANI MOONIYA.
    UDAY TAMHANE.
    BHOPAL.

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  7. RAJESH JI,
    PHOTO AACHCHHE LE RAHE HAI AAP.
    UDAY TAMHANE.

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  8. आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की मंगल कामनाएं।

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  9. नववर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएँ

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  10. bolti tasveer aur prastuti..
    kash inka darad ham sabhi samjh paate..
    sach ka aina dekhati prerak rachna ke saath hi navvarsh kee aapko spariwar haardik shubhkamnayen!

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  11. आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं !

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  12. आपकी कविता मानवीय सन्‍दर्भो को रेखांकित करती हैं जो गहरी पीड़ा को अहसास करा जाती हैं राही ठि‍ठककर खड़ा हो जाता है।

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  13. वाह ..बहुत खूब कहा है आपने ...नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं ।

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  14. Gullak to bhareeho tabhi sukhdaaynee hotee hai.aur bah gullak aapki hai 'dhanybaad
    DR jaijairam anand
    Los AngelesUSA

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...