Monday, February 13, 2012

श्रद्धांजलि : कुछ बोलने दो


खोलने दो
ख़ुशबू के दरीचे खोलने दो
तौलने दो
इस तायरे-जां को दूर देश के लम्‍बे सफ़र पर जाने को ,
पर तौलने दो


बोलने दो
इस जिस्‍म की क़ैद में सुर्ख़ लहू को बोलने दो
इन सब्‍ज़ सुनहरे पर्दों के इस सिम्‍त बड़ा सन्‍नाटा है
मत टोको मुझे, मत रोको मुझे
कुछ बोलने दो।
0 शहरयार
तायरे-जां – जीवन रूपी चिड़ि‍या
(जाने–माने शायर प्रोफ़ेसर अख़लाक मोहम्‍मद खां ‘शहरयार’ का 13 फरवरी,2012 की शाम को अलीगढ़ में निधन हो गया। 12 फरवरी को बंगलौर में कथाकार विद्यासागर नौटियाल नहीं रहे थे। और 12 फरवरी को ही भोपाल में रंगकर्मी अलखनंदन भी इस दुनिया से कूच कर गए हैं। तीन विधाओं की इन तीन हस्तियों के एक साथ जाने से साहित्‍य और रंगमंच जगत स्‍तब्‍ध है।तीनों ने अपने अपने क्षेत्र में जो कहा और सुना है, वह कभी बिसराया नहीं जाएगा। शहरयार अपनी शायरी से,विद्यासागर जी अपने उपन्‍यास और कहानियों से तथा अलखनंदन रंगमंच पर किए गए अपने प्रयोगों से हमेशा हमारे बीच बने रहेंगे। विनम्र श्रद्धांजलि। फोटो गूगल इमेज के सौजन्‍य से)  

12 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि..

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  2. इस तायरे-जां को दूर देश के लम्‍बे सफ़र पर जाने को ,
    विनम्र श्रद्धांजलि...

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  3. विनम्र श्रद्धांजलि।

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  4. शहरयार साहब का जाना उर्दू शायरी के लिए एक बहुत बुरी खबर है...ऐसे लोग सदियों में पैदा होते हैं..

    नीरज

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  5. DIL CHEEZ KYA HAI ?
    JAAN LIJIYE.
    MERE SHRADDHA SOOMAN.
    UDAY TAMHANE
    BHOPAL.

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि।

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  7. आश्चर्यजनक किंतु सत्य। यही तो चक्कर है। हमें मालूम है कि हमे जाना है लेकिन इसके झटके हमे अचंभित करते हैं।..विनम्र श्रद्धांजलि।

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  8. विनम्र श्रद्धांजलि!

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  9. विनम्र श्रधांजलि है इस नायाब शायर को ...

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  10. 12,13फरवरी
    कयामत की रात
    कभी न भूलने वाली बात !
    विनम्र श्रद्धांजलि

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