वह दरवाजे के पास ही बैठा था। बस में ज्यादा लोग नहीं थे। यही कोई 20-22 लोग रहे होंगे। आशा के विपरीत बस अपने निश्चित समय पर रवाना हो गई थी।
हाथ में बैंक काम्पटीशन गाइड जरूर थी पर हिचकोलों के कारण वह ठीक से पढ़ नहीं पा रहा था। वैसे ध्यान भी बराबर वाली सीट पर बैठी दो लड़कियों की ओर था। उम्र में एक-दो साल के अंतर वाली वे लड़कियां बात भी कुछ ऐसी ही कर रहीं थीं, कि किसी को भी सुनने में दिलचस्पी हो सकती थी। छोटी दिखने वाली लड़की बड़ी को मौसी कहकर संबोधित कर रही थी। वह कनखियों से उन्हें देख लेता और फिर गाइड पलटने लगता।