भगतसिंह का एक दुर्लभ फोटो : गूगल से साभार |
में है। (पहली ‘शहीद’ फिल्म में दिलीप कुमार ने यह रोल किया था।) उसका एक गाना, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ मुझे आज भी पूरा याद है। मुझे जहां मौका मिलता था, मैं इस गाने को अवश्य गाता था। भगतसिंह के बारे में जो भी किताब मिलती उसे पढ़ता था। उनके लेख 'मैं नास्तिक क्यों हूं।' ने भी बहुत प्रभावित किया।
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जब कविता लिखना शुरू किया तो भगतसिंह के जीवन पर एक लम्बी कविता लिखने की योजना बनाई। कुछ पन्ने लिखे भी। पर फिर पता नहीं क्या हुआ कि वह कॉपी ही खो गई। दुबारा चाहकर भी नहीं लिख पाया।
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होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम मप्र की लगभग एक हजार माध्यमिक शालाओं में तीस साल (1972-2002) तक चला। उसकी पाठ्यपुस्तक ‘बालवैज्ञानिक’ के तीसरे कवर पर कई वर्षों तक भगतसिंह द्वारा कहा हुआ एक कथन प्रकाशित किया जाता था। कार्यक्रम का उद्देश्य था बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना। विज्ञान की किताब में भगतसिंह का कथन देखकर कुछ लोगों को अजीब-सा लगता था। पर इसके पीछे एक गहरी सामाजिक समझ थी। कार्यक्रम को संचालित करने के लिए ही एकलव्य संस्था का गठन हुआ था, जिसमें मैंने पच्चीस साल काम किया। भगतसिंह के इस कथन के मेरे लिए आज भी बहुत मायने हैं। शायद आपके लिए भी हों-
'''आप प्रचलित विश्वास का विरोध करके देखें, आप निष्कलंक अवतार समझे जाने वाले किसी नायक, किसी महान पुरुष की आलोचना करके देखें। आपके तर्क का जवाब आपको घमंडी कहकर दिया जाएगा। इसका कारण मानसिक जड़ता है।
आलोचना और स्वतंत्र ढंग से सोचना क्रांतिकारी के दो मुख्य अनिवार्य गुण होते हैं। वे महान हैं,इसलिए उनकी कोई आलोचना न करे, वे उससे ऊपर उठ चुके हैं, इसलिए वे राजनीति या धर्म, अर्थव्यवस्था या सदाचार के बारे में कुछ भी कहें तो वह सही होता है। आप मानते हों या न मानते हों, लेकिन आपको यह जरूर कहना पड़ेगा,‘हां, यह बात ठीक है।’ ऐसी मानसिकता हमें न सिर्फ प्रगति की ओर नहीं ले जाती है बल्कि यह तो स्पष्ट तौर पर प्रतिगामी(मानसिकता) है।
एक क्रांतिकारी सबसे अधिक तर्क में विश्वास करता है। वह केवल तर्क और तर्क में ही विश्वास करता है।'' 0 भगतसिंह
सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि. कुछ नया बता कर आपने बहुत अच्छा किया
ReplyDeleteआज की पीढी के बच्चो के आदर्श बदल गए हैं... पुस्तकें भी बदल गईं है और प्राथमिकताएं भी.... सार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteसभी शहीदों को नमन
ReplyDeleteभगतसिंह के ये विचार बहुत ही प्रेरक हैं...और बच्चों को अपनी तरह से सोचने और निर्भीकता से अपना मत रखने के लिए प्रेरित करते हैं.
एक क्रांतिकारी सबसे अधिक तर्क में विश्वास करता है। वह केवल तर्क और तर्क में ही विश्वास करता है।'
ReplyDeleteसभी शहीदों को नमन और आपका आभार.... '
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
वे महान थे ...इस सपूत को प्रणाम !
ReplyDeleteशहीदों को नमन ।
ReplyDeleteसुन्दर आलेख ।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला
ReplyDeleteजब भी सुनता हूँ, रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
गुरुदेव,
ReplyDeleteशाहीदेआज़म को हमारी भी श्रद्धांजलि!!
तीनो शहीदों को मेरा नमन: |
ReplyDeleteभगत सिंह के विचार विज्ञानं से जोड़ना वह बहुत ही अच्छी सोच है |
बहुत सुन्दर पोस्ट ... आपने शहीद भगत सिंह की सोच के बारे में जो जानकारी हमें दी है उम्मीद है उसे पढकर कईओं की बंद आँखें खुल जायेगी ... यकीन नहीं होता है कि कभी हमारे देश में ऐसे सच्चे वीर हुआ करते थे ...
ReplyDeletebhagat singh ... unko padhna mann ke andar devdaar ko mahsoos karna hai
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद भगत सिंह को पढवाने के लिये...शहीदों को शत शत नमन!
ReplyDeletedesh ke mahan sapoot ko salam!
ReplyDeleteमैं भी बचपन से ही भगत सिंह से बड़ा प्रभावित रहा हूँ...बहुत कुछ पढ़ा हूँ उनके बारे में, कहीं भी उनसे सम्बंधित कुछ दिख जाता तो जरूर पढता हूँ...
ReplyDeleteजब बारहवीं में था तभी एक कविता लिखा था मैंने, हालांकि कविता में काफी खामियां थी लेकिन जो भी लिखा था दिल से लिखा था :)
वो कविता अब भी मेरे पास सही सलामत है...
अमर शहीद भगत सिंह के विचार लेखकों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं।
ReplyDeleteशहीदों को शत शत नमन!
ReplyDeleteइन वीर देशभक्तों को नमन.....
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद भगत सिंह को पढवाने के लिये...शहीदों को शत शत नमन!
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