Wednesday, April 15, 2009

॥ अधेड़ पेड़॥

अधेड़ पेड़
फिर हरा हो रहा है
आ रही हैं
नई पत्तियां
संचित हो रही है
ऊर्जा
जन्म ले रही हैं कोशिकाएं
बन रहा है प्लाज्मा
सक्रिय हो रहा है केन्द्रक
अधेड़ पेड़ में ।


0 राजेश उत्‍साही

2 comments:

  1. राजेश जी ,
    बहुत भावः पूर्ण आशावादी कविता ...बधाई ..समय निकल कर मेरा ब्लॉग भी देखिये .
    शुभकामनायें .
    हेमंत कुमार

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  2. पेड़ का अधेड़ होना
    ऊर्जा का पाना है
    इंसान का अधेड़ होना
    ढेर हो जाना है।

    सच कहूं
    कहीं कहीं तो
    सपनों का मर जाना है।

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...