आमतौर पर जब हम रेल्वे स्टेशन पर किसी गाड़ी की प्रतीक्षा करे रहे होते हैं
तो समय काटना मुश्किल लगने लगता है। खासकर तब जब गाड़ी देर से आने वाली हो। ऐसे
में आपके पास सिवाय मक्खियां उड़ाने के और कोई काम नहीं होता। अगर कोई आपको सीऑफ
करने आया है या आप किसी को सीऑफ करने आए हैं तब भी कई बार बातों का कोटा खत्म हो
जाता है और केवल अगल-बगल झांकते ही नजर आते हैं। वैसे आजकल रेल्वे स्टेशनों पर
टीवी स्क्रीन भी समय काटने का एक साधन होते हैं। पर वे हमारी मूक फिल्मों के
जमाने को याद दिलाते हैं। क्योंकि आमतौर पर उन पर केवल चित्र ही दिखाई देते हैं,
आवाज अगर होती भी है तो वह दो-तीन रेडियो स्टेशनों के एक-साथ चलने पर आने वाली
आवाज की तरह। बहरहाल....।
पर अगर आप बंगलौर में रहते हैं या कभी बंगलौर के सिटी जंक्शन रेल्वे स्टेशन
पर ऐसा मौका आए तो आप इस समय का सदुपयोग कर सकते हैं। प्लेटफार्म नम्बर 5 पर एक
रेल आर्ट गैलरी बनाई गई है। जुलाई में मैं अपने परिवार को गाड़ी बिठाने गया था तब
मेरी नजर इस गैलरी पर पड़ी। रेल्वे स्टेशन पर आर्ट गैलरी सुनकर थोड़ा अजीब लगता
है। गाड़ी जाने के बाद मैंने इस गैलरी का अवलोकन किया। यह सचमुच में देखने लायक
आर्ट गैलरी है। इसमें जो कलाकृतियां हैं वे रेल पर ही केन्द्रित हैं। इन कृतियों
की प्रतिलिपियां प्लेटफार्म के सब-वे की दीवार पर भी लगाई गई हैं। इन्हें देखने
का आनंद सचमुच प्रतीक्षा की घडि़यों को आसान बना देता है। एक-एक
कलाकृति को आप देर तक निहार सकते हैं।
सोने में सुहागा यह है कि इस गैलरी के बगल में ही एक कार्टून गैलरी भी बना दी
गई है। तो अगर आपकी रूचि इन कलाकृतियों को देखने में न हो तो आप कार्टून देखकर
अपना मन बहला सकते हैं। कार्टून के विषय भी रेल और रेलयात्रा से संबंधित ही हैं।
मैंने अपने कैमरे से कुछ कलाकृतियों और कार्टून के फोटो लिए हैं, आप भी देखें।
आगमन और प्रस्थान के बीच : पीएस कुमार की कृति |
मथुरा एक्सप्रेस से कन्हैया की यात्रा : शहेद पाशा की कृति |
जनरल कम्पार्टमेंट : परशुराम पी की कृति |
दी रेस विथ लीजेंड : संतोष अंदानी की कृति |
0 राजेश उत्साही
ReplyDeleteजनरल कम्पार्टमेंट : परशुराम पी की कृति ... सच ... कमाल की बात है
आपकी यह प्रस्तुति और चित्र ... बेहद सराहनीय हैं
ReplyDeleteसादर
वाह ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी
आर्ट गैलरी पसंद आई राजेश भाई !
ReplyDeleteआपका आभार !
अरे जबरदस्त है, अब जब कभी भी रेल्वे स्टेशन जायेंगे तो जरूर देखने जायेंगे।
ReplyDeletewaah :) bangalore mein hi mumkin bhi hai aise art gallery railway station pe...delhi ya patna ke stations ki baat rahne dijiye :P
ReplyDeleteइसमें मण्डल रेल प्रबन्धक श्री मणि और कई शाखाधिकारियों का बड़ा प्रयास रहा है।
ReplyDeleteवाह लाजवाब ……………आपकी पारखी नज़र ढूँढ ही लाती है हमेशा कुछ नया :)
ReplyDeleteअरे वाह राजेश जी बड़ी अच्छी खबर बताई. यह एक अच्छा कदम है. वैसे दक्षिण के रेलवे स्टेशन पूर्व को देखते हुए काफी साफ़ सुथरे है और ज्यादा अच्छा रखरखाब है. चेन्नई रेलवे स्टेशन पर तमाम साल पहले से ट्रोली सिस्टम एअरपोर्ट की तरह मिला था जो एक दम नया अनुभव था.
ReplyDeleteGHAR BAITHE RAIL ART GAILARY DIKHADI. AABHAR.
ReplyDeleteअच्छा लगा, देख-जान कर.
ReplyDeleteरेलवे स्टेशन पर आर्ट गैलरी .. सच में सुन कर अजीब लगता है । आपकी पोस्ट और उसकी पिक्चर देखकर विश्वास करना पड़ रहा है। वरना ये सच है कि कोई और कहता तो विश्वास करने का सवाल ही नहीं उठता था..जब तक खुद नहीं देख लेते।
ReplyDeleteAapko spariwar Deepawali ki haadik shubhkamnayen!
ReplyDeleteachchhi report.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है। सरकारी स्तर पर ऐसी रचनात्मकता भी कई बार देखने को मिल जाती है। पिछले कई वर्षों में ओरिएण्टल बैंक जैसे राष्ट्रीयकृत बैंक ने नव वर्ष पर अपने कैलेंडरों में बेहद अच्छे कलात्मक चित्रों का उपयोग किया है।
ReplyDeletewah bhaiya... aaap aur aapki paarkhi najar:)
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