यहां बंगलौर में घर में टीवी नहीं है। एक पड़ोसी
दोस्त के यहां सत्यमेव जयते देख रहा हूं। 15 जुलाई का एपीसोड बुजुर्गों पर था।
नेशनल प्रोग्राम में अनजाने में किस तरह गलत मूल्य
या परम्परा को मजबूत करने वाले संदेश चले जाते हैं यह शायद सब समझ ही नहीं पाते।
प्रोग्राम बनाने वाले भी नहीं।
कार्यक्रम में एक ऐसे दम्पति से मिलवाया गया। जिन्होंने
अपनी वृद्धावस्था में दुबारा शादी की। आमिर खान ने महिला से कहा, ‘आपकी आंखें
बहुत खूबरसूरत हैं।’ लेकिन ऐसा कहने से पहले उन्होंने उनके पति से अनुमति ली।
मेरा सवाल है कि पति से अनुमति लेने की आवश्यकता क्यों
थी। क्या इसलिए कि वे महाशय उनके पति यानी स्वामी थे? (इस बात
को भी पिछले एक कार्यक्रम में जोर देकर बताया गया है।) कायदे से अनुमति लेनी चाहिए थी तो महिला से ।
और मजे की बात यह भी है कि महिला ने यह कहने में एक
पल की देर भी नहीं लगाई कि, ‘आपकी आंखें भी खूबसूरत हैं।’ आमिर के कायदे से तो उन्हें
भी ऐसा कहने के पहले अपने पति से अनुमति लेनी चाहिए थी। हालांकि यह पूरी बातचीत
माहौल को हल्का-फुल्का बनाने के लिए की गई। लेकिन अनजाने में ही जिस तरह का
संदेश इसमें चला गया, उस तरफ किसी का ध्यान नहीं है।
*
सत्यमेव जयते से संबंधित एक कार्यक्रम आकाशवाणी के
विविध भारती चैनल पर भी आता है हर शनिवार को दोपहर में। उसके प्रायोजकों में एक
टूथपेस्ट बनाने वाली कम्पनी भी है। टूथपेस्ट के प्रचार के लिए जो जिंगल बजाया
जाता है उसमें केवल लड़कों की बात की गई है, लड़कियों की नहीं। भला क्यों?
इसी कार्यक्रम के प्रचार के लिए विविध भारती पर बीच-बीच
में उद्घघोषणा आती रहती है, जिसमें आमिर कहते हैं, ‘मुझे आप सबसे बात करके बहुत
मजा आता है।’ क्या सचमुच लोगों की समस्याएं सुनकर उन्हें मजा आता है? आमिर खान
तो मेरी इस पोस्ट को पढ़ने से रहे। काश
कि कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले यूनुस खान इसे पढ़ रहे हों।
मेरा कहना यह है कि ऐसे कार्यक्रमों में इस तरह की
छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान भी रखा जाना चाहिए।
0 राजेश उत्साही
तर्क जंचे...
ReplyDeleteअपना-अपना नजरिया.
ReplyDeleteसही कह रहे हैं आप ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
शब्द फिरें स्वच्छन्द गगन में,
ReplyDeleteमगन लगन में, तपें अगन में।
यह जयते सच तो फैला हुआ है ... मज़ा ही ले रहे ऐसे लोग ! दर्द उकेरिये तो कई लोग कहते हैं - वाह . संवेदना हो तब न अभिव्यक्ति होगी
ReplyDeleteSahi kaha Aapne.
ReplyDelete............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...
कुछ तो लोग कहेंगे ....नजरिया अपना-अपना ...
ReplyDeleteचलो अच्छा अपनाते है ???
आपकी बात से सहमत हूँ ...
ReplyDeleteपति के सामने पत्नी की आँखों की तारीफ करना अभद्र होता यही अनुमति न ली होती . मेरे ख्याल से इसमें कोई बुराई नहीं थी .
ReplyDeleteदराल जी, मेरा सवाल यही है कि कायदे से तो अनुमति उसकी लेनी चाहिए थी जिसकी आप तारीफ कर रहे हैं। क्या केवल पति होने से वे अनुमति देने के हकदार हो जाते हैं। होना तो यह चाहिए कि पति कहे कि अगर आपको पत्नी से कुछ कहना है तो अनुमति भी आप उनसे लें।
ReplyDeleteऔर सवाल यहां से भी पैदा होता है कि एक तरफ हम स्त्री और पुरुष में बराबरी की बात करते हैं, दूसरी तरफ इस तरह के दोहरे मानदंड अपनाते हैं।
कहते हैं तारीफ करने के लिए इजाजत की जरुरत नहीं होती..वैसे भी निश्छल मन से की गई तारीफ के लिए किसी की इजाजत की जरुरत नहीं होती। पर महाभारत की नीति की बात करें..तो किसी विवाहित महिला की खूबसूरती की एकांत में तारीफ करना समाजिक नियमों के खिलाफ है...पर समाज इतना आगे बढ़ चुका है कि निश्छन मन से भी की गई तारीफ के गलत मतलब निकाल लिए जाते हैं....कई बार कहा जाता है कि तारीफ करने वाले शब्द नियत बता देते हैं..लेकिन ये भी यथार्थ है कि कई लोगो निश्छल मन से तारीफ करते हैं पर उन्हें शब्दों का इतना ज्ञान नहीं होता..तो ऐसे बेचारे मार खा जाते हैं.....तो जितने लोग उतनी बातें.....क्यों ठीक कहा न..।
ReplyDeleteमुझे लगता है..आमिर खान ने हलके-फुल्के अंदाज में यह बात कही थी...
ReplyDeleteऔर खासकर किसी उम्रदराज महिला की तारीफ़ की जाती है तो उन्हें भी और सुनने वालों को भी अच्छा लगता है.
प्रोग्राम में इतने संजीदा विषय उठाये जाते हैं कि इस तरह के हलके-फुल्के मोमेंट्स ना हों तो प्रोग्राम बहुत बोझिल बन जायेगा.
रश्मि जी मैंने भी यही कहा है लेकिन ऐसी छोटी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
Deleteस्त्री-पुरुष, पति-पत्नी या लडकी-लडके की सीमाओं के पार खास बात यह है कि यह कार्यक्रम भी लोकप्रियता व मनोरंजन के लिये बेहद गंभीर विषयों को बहुत ही हल्के-फुल्के व सतही अन्दाज में प्रस्तुत करता है । चाहे वह अन्तर्जातीय विवाह का मुद्दा हो या वृद्धावस्था के अकेलेपन का ।( कुछ ऐपिसोड देखे ही नही है) भारतीय जीवन केवल महानगरों में ही नही है जहाँ के फार्मूले आमिरखान ने इस ऐपिसोड में दिखाए । क्या वृद्धों के एकमात्र आश्रय वृद्धाश्रम ही रह गए हैं । निर्माता का अध्ययन ,विश्लेषण ,समाधान व प्रस्तुतिकरण सीमित व सतही प्रतीत होता है ।
ReplyDeleteराजेश जी
ReplyDeleteआप अपनी बात बड़े आराम से आमिर की टीम तक पहुंचा सकते है इस शो की अपनी वेब साईट है जिसपे वो लोगों से अपनी राय देने को कहते है आप अपनी राय वहा दर्ज करा सकते है , शो मुझे पसंद है फिर भी इस तरह की गलतिया होती ही है जैसे मैंने देखा जब वो विकलांगो के लिए एपिसोड बना रहे थे और कह रहे थे की हमारे देश में शायद ही कोई जगह हो जहा विकलांगो के लिए सुविधा हो , खुद उनके सेट पर उन तक पहुँचने के लिए सीढिया बनी थी व्हील चेयर से उन तक नहीं पहुंचा जा सकता था साफ दिखा जब व्हील चेयर पर बैठे एक व्यक्ति का इंटर व्यू अलग से उनके सेट पर हुआ था |
अंशु जी आपका कहा मान लिया। आमिरखान को यह पोस्ट मेल कर दी है।
Deleteछोटी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। सहमत हूं आपसे.
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