Friday, June 1, 2012

गुबार बनाम गुब्‍बारे


                                                       फोटो गूगल इमेज से साभार
मेले में गुब्‍बारे बेचने वाला अपने गुब्‍बारों को बेचने के लिए बहुत प्रयत्‍न कर रहा था लेकिन उसके गुब्‍बारों को किसी ने नहीं खरीदा। वह निराश नहीं हुआ।

प्रसन्‍न मन से उसने अपने गुब्‍बारों के साथ खेलना शुरू कर दिया। खेल-खेल में उसने अपने कुछ गुब्‍बारे आसमान में उड़ा दिए।

बच्‍चों ने उसे गुब्‍बारे उड़ाते और आसमान में उड़ते हुए गुब्‍बारों को देखकर आनंद लेते हुए देखा तो वे भी मचल उठे। बच्‍चे उसे घेरकर खड़े हो गए। देखते ही देखते उसके गुब्‍बारे बिकने लगे।

एक बच्‍ची ने पूछा, ‘अंकल, क्‍या आप काले रंग के गुब्‍बारे को भी इसी तरह उड़ा सकते हैं जिस तरह से इन रंग-बिरंगे गुब्‍बारों को उड़ा रहे हैं?’

गुब्‍बारे वाले ने जवाब दिया, ‘बिटिया, उड़ने की शक्ति इन गुब्‍बारों के रंगों में नहीं है, बल्कि इनके भीतर भरी हुई उस गैस में है जो साधारण हवा से हल्‍की होती है।’
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पते की बात यह है कि यदि गुब्‍बारे वाला अपने गुब्‍बारे न बिकने की सूरत में अपने मन पर निराशा का बोझ लाद लेता तो क्‍या उसके गुब्‍बारे बिकते? शायद नहीं। गुब्‍बारे न बिकने पर भी उसने निराशा को अपने मन पर हावी नहीं होने दिया और गुब्‍बारों के साथ खेलते हुए अपना मन हल्‍का रखा। शायद उसकी यह प्रसन्‍नता ही उसकी सफलता का कारण बन गई।
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(ब्रह्मदत्‍त त्‍यागी द्वारा संपादित एवं ग्राम हथवाला,जिला पानीपत से प्रकाशित 'बौद्धिक सलाहकार' नामक एक 16 पेजी पत्रिका के मई,2012 अंक से साभार। यह मूल कथा का संपादित रूप है।)

12 comments:

  1. प्रेरक कहानी

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  2. बहुत सुंदर कहानी.....
    उड़ा ले गयी ऊपर आसमां में.......

    सादर
    अनु

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  3. सच है, अपने काम में लगे रहना चाहिये।

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  4. दिल भी छोटा सा, छोटी सी ही आशा..लेकिन बड़े काम की|

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  5. एक और सीख जो मैंने पाई इस लघुकथा से वो यह कि कोई भी काम हो जबतक हम उसे बोझ समझते हैं वह पहाड़ लगता है.. काम को खेल या मनोरंजन से जोड़ लें तो बोझ, बोझ नहीं रह जाता और वातावरण में धनात्मक और सार्थक तरंगें फैलने लगती हैं!! प्रेरक कथा!!

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  6. अनुपम भाव ... प्रेरणात्‍मक विचार लिए हुए ..आभार

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  7. ..सच निराशा से कुछ हासिल नहीं होता. निराशा के क्षण में सूझ-बूझ भरा कदम बिगड़ता काम बना लेता है. इसलिए निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए, शायद आपकी यह प्रेरक प्रस्तुति ऐसा ही नेक सन्देश प्रेषित कर रही है..
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!

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  8. प्रेरक कहानी ... निराशा से जितना हो सके दूर रहना बेहतर है ...

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  9. सही है।

    चार-पाँच सौ किमी की लम्बी बस की यात्रा के बाद अपना बुरा हाल था लेकिन उसी बस का खलासी हर गाने पर थिरक रहा था मानो उसने अभी यात्रा प्रारंभ करी है। वह काम करके भी प्रसन्न था और मैं चुपचाप बैठकर दुःखी।

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  10. अच्छी कथा है; लेकिन संदेश उपदेशपरक है। वस्तुत: आधुनिक बाज़ार की वास्तविकता यह है कि उत्पादन-मूल्य का कई गुना प्रचार में खर्च करो और उसके दम पर व्यवसाय को जमाओ। हाँ, गुब्बारेवाले का यह जवाब कि 'उड़ने की शक्ति इन गुब्‍बारों के रंगों में नहीं है, बल्कि इनके भीतर भरी हुई उस गैस में है जो साधारण हवा से हल्‍की होती है।' बच्चों में वैज्ञानिक समझ पैदा करनेवाला और सकारात्मक है।

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  11. SAHI HAI.
    UTASAHI RAHE.
    UDAY TAMHANE
    B.L.O.
    BHOPAL

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  12. सही लिखा हैं आपने


    मन के हारे हार हैं ....मन के जीते जीत ......हर सोच अपने आप पर निर्भर करती हैं

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...