अगर सही सही याद करूँ तो राजेश उत्साही जी से मेरा पहला परिचय उनके ब्लॉग "गुलमोहर" के जरिये हुआ था. उन दिनों मैं ब्लॉग्गिंग में नया था और इनकी कुछ कविताओं वाली पोस्ट पढ़ने के बाद इनके ब्लॉग पर अनियमित हो गया.इस बीच इनकी टिप्पणी हमेशा कई ब्लॉग पर दिखाई देती रही. बाकी टिप्पणियों से अलग मुझे इनकी टिप्पणी हमेशा गंभीर और बिलकुल मुद्दे पर लगती थी.पिछले साल इनके ब्लॉग से मैं फिर से जुड़ा और तब से इनके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ.ये उन चंद ब्लोग्गर्स में से हैं जिनकी हर पोस्ट अपने आप में अलग सी होती है.चाहे वो इनके आत्मीय संस्मरण हों या संवेदनशील कवितायें या कोई प्रेरक आलेख या यायावरी ब्लॉग पर लिखे इनके यात्राओं के लेख और बाकी अनुभव.
कुछ दिनों पहले मुझे पता चला कि उनकी किताब का विमोचन पुस्तक मेले में होने वाला है.ये खबर सुनते ही मेरी राजेश जी की किताब के प्रति दिलचस्पी बढ़ गयी.मुझे लगा था की वो भी आयेंगे पुस्तक मेले में.बैंगलोर से आते वक्त इनसे मुलाकात नहीं हो पायी थी, तो सोचा की दिल्ली में मुलाकात हो जायेगी लेकिन सलिल चचा से मालुम चला की वो दिल्ली नहीं आ पायेंगे.इनकी किताब के विमोचन के वक्त मैं वहाँ मौजूद था.उस दिन जल्दबाजी में मैं इनकी किताब खरीद न सका, दो तीन दिन बाद इनकी किताब खरीदने के उद्देश्य से फिर से पुस्तक मेले में गया.समीर चचा,शिखा वार्ष्णेय दी के बाद राजेश जी तीसरे ऐसे लेखक हैं जिन्हें किताब पढ़ने के पहले से मैं जानता था.
"वह,जो शेष है" एक कविता-संग्रह है जिसमे राजेश जी की 48 चुनिन्दा कवितायें संकलित हैं.सबसे अच्छी बात किताब की ये है की सभी कवितायें किसी एक विषय पे ना होकर, हर विषय पर लिखी गयी हैं.चाहे वो प्रेम-कवितायें हो या सामजिक हालातों पर लिखी कवितायें..कटाक्ष करती कवितायें हो या राजेश जी के व्यक्तिगत अनुभवों वाली कवितायें.हर एक कविता अपने आप में एक कहानी कहती है और बहुत प्रेरक भी है.
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यह अंश है अभिषेक जी द्वारा लिखी गई समीक्षा का। मेरे कविता संग्रह पर कहीं भी प्रकाशित होने वाली पहली समीक्षा। शुक्रिया अभिषेक । पूरी समीक्षा पढ़ने के लिए अभिषेक के ब्लाग मेरी बातें पर जाएं।
बड़ी अच्छी समीक्षा की है आपकी बहुत सुन्दर कविताओं की..
ReplyDeleteबधाई, आपको और अभिषेक जी को भी.
ReplyDeleteएक एक बात सही है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर समीक्षा...
ReplyDeleteआपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!
aameen...
ReplyDeletebadhai aap dono ko
aur holi ki shubhkamnayen..
मेरी समीक्षा अभी बाक़ी है गुरुदेव!! मगर अभी तो कई लोगों तक आपकी कविता पहुंचाने में लगा हूँ!! आपके कई प्रशंसक बना दिए हैं मैंने!! और मुझे अच्छा लगता है ये सब!!
ReplyDeleteचला बिहारी ब्लॉगर बनने
ReplyDeleteमेरी समीक्षा अभी बाक़ी है गुरुदेव!! मगर अभी तो कई लोगों तक आपकी कविता पहुंचाने में लगा हूँ!! आपके कई प्रशंसक बना दिए हैं मैंने!! और मुझे अच्छा लगता है ये सब!!
शुक्रिया सलिल भाई,
Deleteयह भी एक तरह की समीक्षा ही है कि आप औरों को मेरी कविता पढ़ने के लिए उकसा रहे हैं। जो आपको अच्छा लगता है उसका निमित्त मेरी कविताएं बन रहीं हैं, यह उनकी उपलब्धि और सफलता है। पर आप क्या कहने वाले हैं उसका इंतजार तो ही है।
होली की शुभकामनाएं।
कविता संग्रह के लिये बधाई।
ReplyDeleteहोली की ढेर सारी शुभकामनाएं।
आज अचानक ही चला आया. आपको बधाईयाँ. शुभकामनाएं.
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