Monday, February 27, 2012
Sunday, February 19, 2012
मेरा कविता संग्रह : वह,जो शेष है..
यह नाम है मेरे पहले कविता संग्रह का। 25 फरवरी से दिल्ली में आरंभ हो रहे विश्वपुस्तक मेले में यह आ रहा है। इसे ज्योतिपर्व प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। 27 फरवरी को वरिष्ठ कवि मदन कश्यप इसका विमोचन करेंगे। अगर आप दिल्ली में हों तो अवश्य आएं।
Monday, February 13, 2012
श्रद्धांजलि : कुछ बोलने दो
खोलने दो
ख़ुशबू के दरीचे खोलने दो
तौलने दो
इस तायरे-जां को दूर देश के लम्बे सफ़र पर जाने को ,
पर तौलने दो
बोलने दो
इस जिस्म की क़ैद में सुर्ख़ लहू को बोलने दो
इन सब्ज़ सुनहरे पर्दों के इस सिम्त बड़ा सन्नाटा है
मत टोको मुझे, मत रोको मुझे
कुछ बोलने दो।
0 शहरयार
तायरे-जां – जीवन रूपी चिड़िया
(जाने–माने शायर प्रोफ़ेसर अख़लाक मोहम्मद खां ‘शहरयार’ का 13 फरवरी,2012 की शाम को
अलीगढ़ में निधन हो गया। 12 फरवरी को बंगलौर में कथाकार विद्यासागर नौटियाल नहीं रहे थे। और 12 फरवरी को ही भोपाल में रंगकर्मी अलखनंदन भी इस दुनिया से कूच कर गए हैं। तीन विधाओं की इन तीन हस्तियों के एक साथ जाने से साहित्य और रंगमंच जगत स्तब्ध है।तीनों ने अपने अपने क्षेत्र में जो कहा और सुना है, वह कभी बिसराया नहीं जाएगा। शहरयार अपनी शायरी से,विद्यासागर जी अपने उपन्यास और कहानियों से तथा अलखनंदन रंगमंच पर किए गए अपने प्रयोगों से हमेशा हमारे बीच बने रहेंगे। विनम्र
श्रद्धांजलि। फोटो गूगल इमेज के सौजन्य से)
Sunday, February 5, 2012
मैं अकेला था
जब नाजी कम्युनिस्टों के पीछे आए
मैं खामोश रहा
क्योंकि, मैं
कम्युनिस्ट नहीं था
जब उन्होंने सोशल डेमोक्रेट्स को जेल में बंद किया
तो मैं खामोश रहा
क्योंकि में सोशल डेमोक्रेट नहीं था
जब वे यहूदियों के पीछे आए
मैं खामोश रहा
क्योंकि, मैं यहूदी नहीं था
लेकिन,जब वे मेरे पीछे आए
तब बोलने के लिए कोई बचा ही नहीं था
क्योंकि,मैं अकेला था।
0 पीटर मार्टिन (जर्मन कवि)
(कवियाना ब्लाग के सौजन्य से)
Wednesday, February 1, 2012
सुभाष राय :मुझे जनसंदेश टाइम्स में अब नहीं होना चाहिए, मगर क्यों?
लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बनें
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं।
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने ये पंक्तियां जिनके लिए
लिखी होंगी, उनमें से एक सुभाष राय भी हैं। इस साल की जनवरी के आखिर तक वे लखनऊ के उभरते
हुए अखबार जनसंदेश टाइम्स के संपादक थे। लेकिन फरवरी शुरू होते ही उन्होंने अपने कुछ साथियों (जिनमें युवा कवि हरेप्रकाश उपाध्याय भी हैं) के साथ खुद
को जनसंदेश टाइम्स से अलग कर लिया है। लेकिन उनके इस कदम का जनसंदेश बहुत गहरे
अर्थ लिए हुए है।
Subscribe to:
Posts (Atom)