राजेश उत्साही की यादों,वादों और संवादों की
हर किसी के लिये रास्ता अलग होना तय है
एक दार्शनिक वक्तव्य!!
गहन भाव संयोजन लिए शब्द ...
क्योंकि तय तुम्हें ही करना है आगत
muktibodh ke kavita ke satha bejod tasveer prastuti hetu dhanyvaad..
पढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ गहन ...मर्मस्पर्शी ...आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
मन तो अंधेरी कक्षा में ही होना चाहिए।
JAAN LE PAHACHAN LE KAHA HAI HUM AUR KYA CHAHIYE UDAY TAMHANE BHOPAL
Hello matte nice blog
जनाब गुल्लक में कुछ शब्द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...
हर किसी के लिये रास्ता अलग होना तय है
ReplyDeleteएक दार्शनिक वक्तव्य!!
ReplyDeleteगहन भाव संयोजन लिए शब्द ...
ReplyDeleteक्योंकि तय तुम्हें ही करना है आगत
ReplyDeletemuktibodh ke kavita ke satha bejod tasveer prastuti hetu dhanyvaad..
ReplyDeleteपढ़ रहा हूँ ...समझ रहा हूँ ..सोच रहा हूँ
ReplyDeleteगहन ...मर्मस्पर्शी ...
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
मन तो अंधेरी कक्षा में ही होना चाहिए।
ReplyDeleteJAAN LE
ReplyDeletePAHACHAN LE
KAHA HAI HUM
AUR KYA CHAHIYE
UDAY TAMHANE
BHOPAL
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