छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक ब्लाक है कुरूद। चार महीने पहले की बात है मैं अपनी मोटरसाइकिल सुधरवाने एक गैरेज में गया। काम थोड़ा ज्यादा था, सो वहां रुकना पड़ा। मैंने देखा कि मोटरसाइकिल सुधारने वाला युवक लगभग हर आधे घंटे बाद गुटखा खा रहा था।
मैंने जिज्ञासा वश उससे पूछ लिया, ‘दिन भर में कितने पैकेट खा लेते हो।’
उसने लापरवाही से उत्तर दिया, ‘यही कोई 25-30 तक।’
मैंने सोचा यह युवक दिन भर में कितना कमाता होगा। उसमें से 25-30 रुपए तो इसी में गंवा देता है। अपनी आदत के मुताबिक मैंने उसे गुटखे के नुकसान और बाकी चीजों पर भाषणनुमा कुछ- कुछ कहा।
उसने उतनी ही लापरवाही से कहा, ‘अरे भैया अब तो यह मरने के साथ ही छूटेगा।’
उसने उतनी ही लापरवाही से कहा, ‘अरे भैया अब तो यह मरने के साथ ही छूटेगा।’
इतनी जल्दी मरने की बात। मैं चुप हो गया।
मोटरसाइकिल ठीक हो गई। मैंने पैसे चुकाए और चलने लगा तो उससे कहा, ‘कल से एक पैकेट कम खाने की कोशिश करना।’
उसने मेरी तरफ देखा और बस मुस्करा दिया।
मैं भी भूल गया। हफ्ते भर बाद मेरा उस ओर से निकलना हुआ तो मुझे याद आया कि चलो एक बार पूछकर देखते हैं क्या हाल है। मुझे देखते ही बोला, ‘भैया 20 तक आ गया हूं।’
इस बार मुस्कराने की बारी मेरी थी।
अब तो जैसे नियम ही बन गया। कोई काम नहीं भी होता तो भी मैं जान-बूझकर हर दूसरे-तीसरे दिन उसके गैरेज के आसपास से निकल जाता। हम एक-दूसरे को देखते, हाथ हिलाकर अभिवादन करते। अभी हाल ही में उससे बात हुई। यह जानकर मैं सुखद आश्चर्य से भर उठा कि अब वह हर रोज केवल तीन-चार पैकेट ही खा रहा है। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि वह दिन भी जल्द ही आएगा जब वह गुटखा खाना ही छोड़ देगा।
मुझे पता है मैंने कोई बड़ा काम नहीं किया है। पर इससे मुझे जो खुशी मिली है वह बहुत बड़ी है। 0 गोवर्धन लाल
गोवर्धन जी, किसने कहा कि आपने कोई बड़ा काम नहीं किया? उस युवक के आश्रितों के बारे में सोचकर हमारा मन तो कहता है कि आपने एक बहुत बड़ा काम किया है।
ReplyDeleteएक भी इंसान को यह खतरे से बचा सकें तो वह क्षण धन्य हो जाता है ! शुभकामनायें !!
ReplyDelete:)
ReplyDeleteएक मिलता जुलता किस्सा याद आया.
मेरे पापा एक दफे दफ्तर से वापस घर आ रहे थे.उस दिन वो गाड़ी से ऑफिस नहीं गए थे तो ऑटोरिक्शा से उन्हें वापस आना था.ऑटोरिक्शा पे कोई लड़का शायद सिगरेट फूंक रहा था.पापा ने उसे अच्छे से समझाया और सिगरेट छोड़ने की सलाह दी, उसने भी बिना पापा के उस बात को अच्छे से लिया और कहा 'अंकल अब से सिगरेट छोड़ने के पूरी कोशिश करूँगा'.
पापा उस दिन दफ्तर से आये थे तो बता रहे थे.कुछ चार साल पहले की बात है ये.
अच्छी नज़ीर.
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रयास...एक आदमी की आदत भी अगर छुड़ा सके तो बहुत बड़ी बात है...
ReplyDeleteराजेश भाई मैं पूर्व योजना के तहत चाह कर भी जयपुर नहीं आ सका...आपसे मिलने का ये सुनहरी अवसर गवां कर दुखी हूँ...आज आया हूँ लेकिन क्या फायदा अब तो चिड़िया उड़ चुकी है...:-)
नीरज
ek sahi suruaat.....
ReplyDeletejai baba banaras...
काश ऐसे प्रयास सरकार की तरफ से होते.... प्रेरणादायक अनुभव... हम भी कोशिश करेंगे...
ReplyDeleteबहुत ही प्रशंसनीय प्रयास....कोशिश तो की जाये...कभी कभी किसी की कही बात असर कर जाती है..और परिणाम सुखद होते हैं...जैसा यहाँ देखने को मिला.
ReplyDeleteराजेश जी , अपने बड़ा ही नेक और प्रशंसनीय काम किया है । आपका प्रयास एक युवक को अकाल मौत के मूंह से निकाल सकता है ।
ReplyDeleteबधाई ।
बहुत ही प्रशंसनीय प्रयास..... प्रेरणादायक अनुभव
ReplyDeleteप्रेरणादायक रचना ..
ReplyDeleteगोवर्धन कुरूद ने जो किया वैसा सभी करें और उस युवक की तरह कहने वाले की बात पर अमल भी करें तो तस्वीर ही बदल जाए . प्रेरक प्रसंग सामने लाने के लिये आभार ।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteएक मिसाल... एक मशाल! सलाम गोवर्धन जी!
ReplyDeleteसही विधि बताई आपने, आभार।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रेरक प्रसंग के लिए आभार
ReplyDeleteवहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
मैं भी बहुत पान खाता था। अब धीरे-धीरे छूट चुकी है आदत। यह विश्वास भी जगा है कि बुरी आदतें प्रयास करने से छूट जाती हैं।
ReplyDelete..बढ़िया पोस्ट।
आदरणीय उत्साही जी ! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने इस लेख को अपने ब्लाग में स्थान जो दिया।
ReplyDeleteइससे मुझे बहुत खुशी हुई।
GOOTKA CHHODANEWALO ME EK MAI BHI HOO. EK BAAT KAHOONGA CHHODANE KE BAAD AUR ACHCHHA LAGATA HAI. SMS UDAY TAMHANEY.BHOPAL. TO 9200184289
ReplyDelete