Thursday, April 7, 2011

93..हजारों हैं साथ तुम्‍हारे


मैं चाहता हूँ निज़ामे कुहन बदल डालूं,
मगर ये बात फ़क़त मेरे बस की बात नहीं!
उठो बढ़ो, मेरी दुनिया के आम इंसानों,
ये सबकी बात है, दो चार दस की बात नहीं!

                -                                           * ताज भोपाली

16 comments:

  1. हम अन्ना के साथ हैं.. मन से कर्म से

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  2. जिस लोकतंत्र का अपहरण इन रावणों ने कर लिया है उसे छुड़ाने के लिये इस राम की सेना में शामिल होने का यह आखिरी अवसर है।

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  3. सच है कहीं देर न हो जाए ... आना का साथ देना चाहिए सभी को ... इस हवन में सामिग्रि सब को डालनी चाहिए ...

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  4. her taraf her jagah her kahin pe hai- haan usi ka noor

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  5. वाह! बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है! अन्ना जिंदाबाद!

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  6. ये सबकी बात है, दो चार दस की बात नहीं!

    प्रेरक ...बहुत ही खूब कहा है आपने ...।

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  7. अगर हम अन्ना हजारे बन नहीं सकते तो कम से कम उसका साथ तो दे ही सकते हैं...

    नीरज

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  8. हज़ारों हैं तो लाखों भी होंगे ।

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  9. प्रेरक पंक्तियाँ।
    अन्ना के मिशन के लिये शुभकामनाएं।

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  10. स्‍वागतेय ताजी वैचारिक बयार. (भाइयों को ऐतराज न हो कि आंधी, तूफान, सुनामी क्‍यों नहीं कहा जा रहा है.)

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  11. जोश से भर देनेवाली पंक्तियाँ...
    ख़ुशी इस बात की है कि हर वर्ग के लोगो ने उनका साथ दिया

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  12. इस एक ही धरने से सिद्ध होता है कि देश का आम नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ किस हद तक उठ खड़ा होने को बेताब है।

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  13. अन्ना ही जीतेंगे ...शुभकामनायें !!

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  14. क्या बात है राजेश जी! वाह!

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...