मैं चाहता हूँ निज़ामे कुहन बदल डालूं,
मगर ये बात फ़क़त मेरे बस की बात नहीं!
उठो बढ़ो, मेरी दुनिया के आम इंसानों,
ये सबकी बात है, दो चार दस की बात नहीं!
- * ताज भोपाली
मगर ये बात फ़क़त मेरे बस की बात नहीं!
उठो बढ़ो, मेरी दुनिया के आम इंसानों,
ये सबकी बात है, दो चार दस की बात नहीं!
- * ताज भोपाली
हम अन्ना के साथ हैं.. मन से कर्म से
ReplyDeleteजिस लोकतंत्र का अपहरण इन रावणों ने कर लिया है उसे छुड़ाने के लिये इस राम की सेना में शामिल होने का यह आखिरी अवसर है।
ReplyDeleteसच है कहीं देर न हो जाए ... आना का साथ देना चाहिए सभी को ... इस हवन में सामिग्रि सब को डालनी चाहिए ...
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteher taraf her jagah her kahin pe hai- haan usi ka noor
ReplyDeleteवाह! बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ है! अन्ना जिंदाबाद!
ReplyDeleteये सबकी बात है, दो चार दस की बात नहीं!
ReplyDeleteप्रेरक ...बहुत ही खूब कहा है आपने ...।
अगर हम अन्ना हजारे बन नहीं सकते तो कम से कम उसका साथ तो दे ही सकते हैं...
ReplyDeleteनीरज
हज़ारों हैं तो लाखों भी होंगे ।
ReplyDeleteप्रेरक पंक्तियाँ।
ReplyDeleteअन्ना के मिशन के लिये शुभकामनाएं।
स्वागतेय ताजी वैचारिक बयार. (भाइयों को ऐतराज न हो कि आंधी, तूफान, सुनामी क्यों नहीं कहा जा रहा है.)
ReplyDeleteजोश से भर देनेवाली पंक्तियाँ...
ReplyDeleteख़ुशी इस बात की है कि हर वर्ग के लोगो ने उनका साथ दिया
इस एक ही धरने से सिद्ध होता है कि देश का आम नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ किस हद तक उठ खड़ा होने को बेताब है।
ReplyDeleteअन्ना ही जीतेंगे ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteकम लफ्जों में बडी बात।
ReplyDelete---------
प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
क्या बात है राजेश जी! वाह!
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