।।एक।।
मैंने उससे कहा, ‘तुम बहुत सुंदर हो।’
‘जानती हूं’, वह बोली।
मैं निरुत्तर था।
*
मैंने कहा, ‘इस साड़ी में बहुत सुंदर लग रही हो।’
‘तो यह साड़ी पत्नी के लिए दे दूं?’
मैं अवाक था।
।।दो।।
मैंने उससे कहा, ‘तुम बहुत सुंदर हो।’
‘धन्यवाद।’ वह बोली।
मैं निरुत्तर था।
*
मैंने कहा, ‘इस साड़ी में बहुत सुंदर लग रही हो।’
‘तो ऐसी ही एक साड़ी मुझे देंगे?’
मैं अवाक था।
0 राजेश उत्साही
:)दोनों बहुत पसंद आई !!
ReplyDeleteवाह, एकदम नया अन्दाज।
ReplyDeleteग़ज़ब का रह्स्यवाद पिरोया है.. मज़ा आ गया इस प्रयोग में!! स्टैंडिंग ओवेशन मेरी तरफ से!!
ReplyDeleteइस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ऐसी बातें कहने का जोखिम सोच-समझ कर ही लेना चाहिए.
ReplyDeleteऐसी यादें किसे याद रहती हैं ... :-(
ReplyDeleteशुभकामनायें !
aisi hi ek aur saree aur.... awaak kyun , ye to hona tha !
ReplyDeleteवाह क्या संवाद का अन्दाज़ है……………आगे से सोच कर करियेगा।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
अलग अलग उत्तर फिर भी निरुत्तर और अवाक् ! संवाद कई अर्थ समेटे हुए है !
ReplyDeleteआप किससे और कब मुख़ातिब हैं, वही तय करेगा जवाब ! बहुत ही विशिष्ट अंदाज़ में लिखी गई बहुत अच्छी पंक्तियाँ ! धन्यवाद !
ReplyDeleteअच्छी हाजिर जवाबी लाजवाब कर दिया | दोनों ही अच्छी लगी चंद लाइनों में बहुत कुछ कह दिया |
ReplyDeleteमैंने उससे कहा, ‘तुम बहुत सुंदर हो।’
ReplyDelete‘धन्यवाद।’ वह बोली।
मैं निरुत्तर था।
*
मैंने कहा, ‘इस साड़ी में बहुत सुंदर लग रही हो।’
‘तो ऐसी ही एक साड़ी मुझे देंगे?’
मैं अवाक था।.......
क्या बात है...बहुत खूब...
वैसे दोनों ही अच्छी लगी...
रोचक संवाद...
ReplyDeleteबहुत रोचक..
ReplyDeleteमैं निरुत्तर था....
ReplyDeleteमैं अवाक था.....
वाह..क्या खूब ...
मगर...एक साड़ी का ही तो सवाल था, भाई साहब ....
कंजूसी क्यों ???
दोनो संवाद प्रगाढ़ प्रेम को ही दर्शाते हैं।
ReplyDeleteसफल प्रयोग।
बहुत खूब कहा है ...।
ReplyDeleteबहुत खूब । कितनी बारीक दष्टि और अभिव्यक्ति। आभार ।
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