फोटो: राजेश उत्साही |
गली के मुहाने पर खाली प्लाट था।
मोहल्ले के ज्यादातर लोगों के लिए कचरा डालने का एक ठिकाना । कब तक खाली रहता, बिक गया। जल्दी ही उस पर एक नया घर भी बन गया। कहते हैं कि आदत आसानी से नहीं जाती। कुछ लोग अब भी वहीं कचरा डाल रहे थे।
मकान मालिक परेशान-हैरान थे। सब उपाय करके देख लिए थे। वहां लिख दिया था अंग्रेजी में भी और स्थानीय भाषा में भी कि, ‘यहां कचरा डालना मना है।’ पर हर जगह की तरह वहां भी पढ़े-लिखे गंवारों की संख्या अधिक थी। लोग थे कि बाज ही नहीं आ रहे थे।
एक सुबह चमत्कार हो गया। कचरे की बजबजाती दुर्गंध की जगह चंदन की सुगंध ने ले ली। अब लोग घर का नहीं मन का कचरा डालने वहां आ रहे थे।
मकान मालिक ने रातों-रात अपने किसी आराध्य को पहरेदारी के लिए एक छोटी-सी मडि़या में वहां बिठा दिया था।
0 राजेश उत्साही
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