घर भर के नशेमन से बिटिया की चहक आए
मैं तो काम करती हूं चुपचाप रसोई में
हर एक बर्तन से बिटिया की खनक आए
जाने क्या हो गया है अब मेरी निगाहों को
देखूं कोई बच्चा तो उसकी ही झलक आए
लगता है यही दिल को जब दूर वो होती है
इक बार तो वो आंचल में मेरे दुबक जाए
ये सोच के मैं अक्सर कविता किया करती हूं
शायद वो गजल बनकर मेरे शेरों में ढल जाए
पूजा को मेरी माता इतनी ही दुआ देना
मंत्रों की तरह बिटिया होटों से लिपट जाए
बैठी हुई अक्सर वो इक ऊं सी लगती है
उठे तो घर भर में आयत सी महक जाए
मूंदी है अभी पलकें ये सोच के मैंने
वो खुशी बनकर आंखों से छलक जाए
0 सुवर्णा दीक्षित जयपुर से शिक्षा के मुद्दों पर केन्द्रित एक पत्रिका प्रकाशित होती है अनौपचारिका। इसे राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति प्रकाशित करती है। पिछले वर्ष इसके मार्च अंक में यह मर्मस्पर्शी कविता प्रकाशित हुई थी। अनौपचारिका ने भी इसे स्टेट बैंक आफ इंडिया की एक पत्रिका से साभार लिया था। सुवर्णा दीक्षित भी इसी बैंक में कार्यरत हैं। कविता अपने आप में एक बयान है। उसके बारे में बहुत कुछ कहने को नहीं है।
कविता के साथ जो तस्वीर है वह है मेरी छोटी बहन ममता की इकलौती बेटी सौम्या की। न जाने क्यों मुझे लगा कि यह कविता जैसे सौम्या के बारे में ही है। ममता खंडवा में है। बहनोई हेमराज अमोल्या एक शासकीय शाला में पिछले साल ही नियुक्तं हुए हैं। उसके पहले वे एक गैरशासकीय शाला में अध्यापन कर रहे थे।
उल्लेखनीय बात यह है कि ममता और हेमराज की बिटिया का जन्म उनकी शादी के लगभग 14 साल के बाद हुआ है। मैं इसे चमत्कार तो नहीं कहूंगा, पर सौम्या का जन्म तब हुआ जब उन्होंने यह उम्मीद छोड़ दी थी कि उनके यहां कोई संतान होगी। सौम्या घर भर में सबकी बहुत चहेती है। सुवर्णा दीक्षित के शब्दों में ही मैं बस इतना ही कहूंगा-
ये सोच के मैं अक्सर कविता किया करता हूं
शायद वो गजल बनकर मेरे शेरों में ढल जाए।
बहुत खूब
ReplyDeletebahut hi mamta bhara aur pyara...
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
सौम्या बिटिया बहुत प्यारी है..आशीष!
ReplyDeleteशुक्रिया उड़न तशतरी के समीर जी।
ReplyDeleteसौम्य बेटी जितनी सुन्दर है उतनी ही सुन्दर पोस्ट ..
ReplyDelete१४ साल बहुत होते हैं मैं तो १० साल में ही उम्मीद छोड़ चुकी थी लेकिन कहते है जो किस्मत में होता है वही होता है.. १० वर्ष बाद आज मेरी एक बेटी और बेटा है..
आपकी छोटी बहन ममता और बहनोई हेमराज अमोल्या जी को मेरी ओर से शुभकामना और बिटिया को ढेर सारा प्यार और शुभकामनायें!
प्रेरक प्रस्तुति के लिए आपका बहुत बहुत आभार!
PYAARI SOMYA KO PYAAR. AAP SUBKO BADHAAI. @ UDAY TAMHANEY. BHOPAL.
ReplyDeleteआदरणीय उत्साही जी, मेरी कविता प्रकाशित हुई, सराही गई.. हार्दिक आभार.. थोडे से सुधार की गुंजाइश बनती है, वह यह कि, मैं स्टेट बैंक नहीं "बैंक ऑफ़ बडौदा" में कार्यरत हूँ.. यह कविता "बॉब मैत्री" नामक हमारी गृह पत्रिका से ली गयी थी.. पुन: आभार आपका.. एक अनोखा संयोग यह है कि मेरी बिटिया का नाम भी सौम्या है इसीलिए यह अक्षरशः सत्य है कि कविता "सौम्या" के लिए ही लिखी गई है.. आपकी सौम्या और मेरी सौम्या दोनों को शुभाशीष.......
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