Tuesday, December 29, 2009

केवल पढ़ें नहीं कुछ लिखें भी

14नवम्‍बर,2009 को मैंने एक जन्‍मदिन ऐसा भी शीर्षक से एक पोस्‍ट प्रकाशित की थी। यह एक नन्‍हीं बच्‍ची शुभि सक्‍सेना की कविताओं की पुस्‍तक के बारे में थी। इन कविताओं के चित्र भी शुभि ने ही बनाए थे। पर उस समय मैं ये चित्र नहीं दे पाया था। शुभि के पापा हर्ष सक्‍सेना ने अब इस पुस्‍तक के अंदर के कुछ पन्‍नों के चित्र भेजे हैं। तो अब आप शुभि की कुछ और कविताएं उसके चित्रों के साथ पढ़ें। और केवल पढ़ें ही नहीं कुछ लिखें भी। मेरा मतलब है टिप्‍पणी लिखें ताकि शुभि के साथ-साथ मेरा उत्‍साहवर्धन भी हो। शुक्रिया।  



7 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामना .

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  3. बहुत ख़ूब
    सबको नए साल की हार्दिक सुभ कामनाये
    HAPPY NEW YEAR

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  4. इन कविताओ को पढ़ कर लगता है कि शुभि बहुत गहरी सोच वाली बच्ची है....सामयिक रचना ये हैं सभी...सुन्दर चित्र है....बाल कविताएं होते हुए भी बाल कविता कहने को मन नही करता .... होन हार बिरवान के.....

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  5. बहुत ख़ूब ...सुन्दर चित्र है....

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  6. एक थे राजेश जी भैया जो खूबसूरत बाल -कविता तो प्रस्तुत किए है जिसे पढ़ना एक सुखद अनुभूति जैसे है...बढ़िया लगा आपकी यह प्रस्तुति..बधाई!!!

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  7. बहुत अच्छा लगा शुभी सक्सेना की कविता पढ़ कर और चित्र देखकर मैंने भी इससे सिख ली सच बहुत अच्छा मै भी अब पढता ही नहीं हु लिखता भी हूँ और सबको लिखना चाहिए .

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...