Saturday, October 4, 2014

वन विहार में पक्षी दर्शन



कई बार अचानक ही कुछ ऐसा कार्यक्रम बन जाता है, जो आपने सोचा भी नहीं था। भोपाल आने पर एक आकर्षण होता है सुबह-सुबह घूमने जाना। एकलव्‍य के पुराने साथी शिवनारायण पिछले कुछ बरसों से यह नियमित रूप से कर रहे हैं। भोपाल में मैं और वे एक ही मोहल्‍ले में एक गली के अंतर पर रहते हैं। कुछ समय पहले उनका वजन 85 किलोग्राम के पार पहुंच गया था। लेकिन सुबह की सैर और खानपान में नियंत्रण से वे उसे 70 के आसपास लाने में कामयाब रहे हैं। तो उन्‍होंने सूचित किया कि भैया, वनविहार (भोपाल का राष्‍ट्रीय उद्यान) में वन्‍य प्राणी सप्‍ताह 1 से 7 अक्‍टूबर तक मनाया जा रहा है। उसमें एक बर्ड वाचिंग कैम्‍प का आयोजन हो रहा है, अपन सुबह वहीं चलेंगे। 

4 की सुबह लगभग साढ़े छह बजे हम दोनों वनविहार में मौजूद थे। हमने अपना रजिस्‍ट्रेशन करवाया और इंतजार करने लगे। धीरे-धीरे लोग जुट रहे थे। जिनमें,बच्‍चे,महिलाएं और बुजुर्ग भी थे। तीन-तीन,चार-चार लोगों के बीच एक दूरबीन और पक्षियों की जानकारी देने वाली एक किताब दी गई। फिर सारे सब लोगों को तीन बड़े समूहों में बांटा गया। हर समूह के साथ एक स्रोत व्‍यक्ति को जोड़ा गया। हमारे स्रोत व्‍यक्ति थे जाने-माने वन्‍य प्राणी विशेषज्ञ डा. सुरेन्‍द्र तिवारी। तिवारी जी भोपाल में एक बड़े अखबार के मालिक भी हैं। उनकी गिनती अंतरराष्‍ट्रीय विशेषज्ञों में होती है।

भ्रमण पर निकलने से पहले वनविहार के एक अधिकारी ने हम सबको प्रधानमंत्री जी की स्‍वच्‍छ भारत अभियान की शपथ दिलवाई। शायद ऐसा करने का उन्‍हें आदेश रहा होगा या फिर वे स्‍वेच्‍छा से इस मौके का उपयोग कर रहे होंगे। बहरहाल वनविहार जैसी जगहों में तो न मैं गदंगी करूंगा,न करने दूंगा का प्रण लेना बेहद जरूरी है, अपन भी ऐसा मानते हैं।  

हमारे समूह में लगभग 20 लोग रहे होंगे। सब वनविहार की सड़क पर पैदल चल रहे थे। जो भी पक्षी दिखाई देता, तिवारी जी रोचक तरीके से उसके बारे में बताते। बया, बगुला, सनबर्ड, वायरटेल सायलो, सिलही, सतभैया, नीलकंठ, लालमुनिया,मोर-मोरनी समेत और कई पक्षी हमें नजर आए। हममें से कुछ के पास कैमरा था, सो उसका उपयोग भी किया। 

फिर हम सब लोगों को तीन सफारी गाडि़यों में भरकर वनविहार के अंदरूनी हिस्‍से की सैर करवाई गई। हालांकि वहां हिरण,चीतल,सांभर,नीलगाय और लंगूरों के अलावा कोई और जीव नजर नहीं आए। हां श्‍यामला पहाड़ी के ऊपर पहुंचकर भोपाल ताल के उस हिस्‍से को जरूर देख पाए जो आमतौर पर नजरों से ओझल रहता है। अभी तक वनविहार में सफारी भ्रमण की कोई व्‍यवस्‍था नहीं रही है। आज से ही उसका उद्घाटन किया गया। हमें बताया गया कि यह सफारी भ्रमण आमजनता के लिए दो सौ पचास रुपए प्रति व्‍यक्ति के शुल्‍क पर उपलब्‍ध होगा। शिवनारायण और मेरा मानना है कि हमारी यह सफारी सैर एक तरह से ट्रायल थी।


जो भी हो, कुछ नया समझने और देखने का मौका तो मिला। आनंद आया। याद आए चकमक के वे दिन, जब उसमें पक्षियों पर आधारित एक शृंखला का प्रकाशन किया था। जिसे एकलव्‍य में हमारे अपने प्राणी विज्ञान विशेषज्ञ डॉ अरविन्‍द गुप्‍ते लिखते थे। बाद में पक्षी विज्ञानी डॉ सालिम अली की किताब भारत के पक्षी की मदद से चलायाथा।                                        0 राजेश उत्‍साही 

1 comment:

  1. बच्चों के साथ वन विहार की सैर अक्सर होती रहती हैं ...
    पक्षियों की फोटोज भी होती तो लेख में रोचकता आ जाती ..
    ..बहुत बढ़िया लगा वन विहार में पक्षी दर्शन

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