राजेश उत्साही |
-अन्ना ने बहुत बुरा किया।
-हां यार सचमुच।
-अब कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार इस देश से।
-उनसे ही कुछ उम्मीद थी।
दोनों राज्य परिवहन की बस में सवार थे। टिकट टिकट.... कंडक्टर ने आवाज लगाई।
-दो टिकट कोदंडराम नगर।
-चौदह रूपए।
पहले ने बीस का नोट आगे किया।
कंडक्टर ने दस का नोट वापस किया और आगे बढ़ गया।
-भाई साहब टिकट..।
-अरे छोड़ो न यार,क्या करोगे।...कंडक्टर मुस्कराया।
और दोनों फिर से चर्चा में डूब गए।
-बहुत भ्रष्टाचार है इस देश में।...पहला बड़बड़ाया।
-कैसे जाएगा ये।...दूसरे ने फिर चिंता जताई।
-कैसे जाएगा ये।...दूसरे ने फिर चिंता जताई।
0 राजेश उत्साही
AAPKI BAAT THIK HAI RAJESH JI
ReplyDeleteLEKIN
BHRASHTACHAR TO
MITANA HAI TO
UPARI TABAKE SE
HI MITAYA JA SAKATA HAI.
UDAY TAMHANE
B.L.O.
BHOPAL
उदय भाई इसीलिए भ्रष्टाचार नहीं मिट रहा है। सब उसे अपना नहीं किसी ओर का काम मान रहा है। ऊपरी और निचले सभी तबके के लोग अपना तात्कालिक लाभ देख रहे हैं। जब तक हम इस मानसिकता से छ़टकारा नहीं पाएंगे तब तक यह होता हुआ नहीं दिखता।
DeleteSAHI HAI RAJESH JI
ReplyDeleteMERA MATALAB YAHI HAI KI
MATRA SARKARI STAR SE YAH NAHI MIT SAKEGA.
UDAY TAMHANE
BHOPAL
सिर्फ और सिर्फ हर आदमी अगर खुद को भ्रष्ट होने से बचा ले तो भ्रष्टाचार नहीं रहेगा. लेकिन हमारी मानसिकता को बदलना इतना आसान नहीं है.
ReplyDeleteयही तो मुश्किल है ... इस राह की ...
ReplyDeleteबस इसीलिये रुके हुये थे...सब सामान्य कर बैठे..
ReplyDeleteआइना दिखा रहे है आप ...
ReplyDeleteSAHI HAI.
ReplyDeleteKANOON SE BHRASHTACHAR NAHI JA SAKEGA.
MANSIKATA BADALANA HOGI.
LEKIN JO LOG
ROTI KAPADE KI BHI SAHI JOOGAD NAHI KAR PATE.
UNSE MANSIKATA BADALANE KI APEKSHA KAISE KARE.
UDAY TAMHANE.