Tuesday, October 25, 2011

जश्‍न-ए-बचपन


चकमक के 300वें अंक के विमोचन के अवसर पर जश्‍न-ए-बचपन के नाम से भोपाल में तीन‍ दिन का आयोजन 21 से 23 अक्‍टूबर तक था। 21 अक्‍टूबर को जाने माने शिक्षाविद् कृष्‍णकुमार की उपस्थिति में शिक्षा में बालसाहित्‍य की भूमिका पर चर्चा हुई। 


गुलज़ार साहब और अन्‍य वक्‍ता : फोटो -दीपाली शुक्‍ला
22 अक्‍टूबर को भारत भवन के अंतरंग में बाल साहित्‍य की वर्तमान चुनौतियां विषय पर एक विमर्श हुआ। चकमक के सम्‍पादक सुशील शुक्‍ल, कथाकार अनुष्‍का रविशंकर, आईडीसी,आईआईटी मुम्‍बई के डिजायनर प्रोफेसर राजा मोहन्‍ती, चित्रकार दिलीप चिंचालकर, कवि-कथाकार उदयन वाजपेयी,कवि प्रयाग शुक्‍ल और गुलज़ार साहब के साथ मैंने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किए। 

चकमक बनाम बाल साहित्‍य की चुनौतियां : राजेश उत्‍साही 
यह सचमुच मेरे लिए दुर्लभ और ऐतिहासिक क्षण था। (कुछ संयोग ऐसा हुआ कि इस कार्यक्रम के लिए बंगलौर से भोपाल आते हुए मुम्‍बई से गुलज़ार साहब और मैं एक ही विमान में आए। लगभग तीन घंटे हम साथ साथ थे। इस बारे में विस्‍तार से यायावरी पर लिखूंगा।)

जाहिर है चकमक जिस तरह की पत्रिका रही है उसमें एक नही तमाम लोगों का योगदान रहा है। सो विमोचन के मौके पर सभी आ जुटे। अगर आप पहचान पाएं तो पहचानें।  बाएं से दाएं- एकलव्‍य के  शाहिद,मनोज निगम, चित्रकार संजू जैन, चकमक में वितरण से जुड़ी सवेरा की  बिटिया खुशी , चकमक के विज्ञान सलाहकार  डॉ सुशील जोशी, चकमक की पूर्व सज्‍जाकार जया विवेक, गुलज़ार साहब, उनके सामने संजू जैन की बिटिया, चित्रकार अशोक भौमिक,  कवि प्रयाग शुक्‍ल व  नरेश सक्‍सेना,राजेश उत्‍साही, कथाकार वरुण ग्रोवर, कवि  उदयन वाजपेयी, चित्रकार अतनु राय,कथाकार प्रियंवद, चकमक के शुरुआती अंकों में संपादकीय टीम के सदस्‍य रहे श्‍याम बोहरे , कथाकार मंज़ूर एहतेशाम, पत्रकार राजकुमार केसवानी और  चकमक के पहले अंक से उसके वितरण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कमलसिंह । पीछे नजर नहीं आने वालों में चकमक के पूर्व संपादक  रेक्‍स डी रोजारियो , संपादकीय टीम के सदस्‍य रहे गोपाल राठी, टुलटुल विश्‍वास  और वर्तमान संपादक  सुशील शुक्‍ल भी हैं। फोटो: दीपाली शुक्‍ला ने लिया, जो एकलव्‍य की प्रकाशन टीम की सदस्‍य हैं।
इसी शाम को गुलज़ार जी ने रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर द्वारा बच्‍चों के लिए लिखी गई नज्‍़मों का पाठ किया। इनका अनुवाद मूल बांग्‍ला से गुलज़ार जी ने स्‍वयं किया है। और उसके बाद हुआ चकमक के 300 वें अंक का विमोचन। और उसके बाद नया थियेटर ग्रुप ने प्रसिद्ध नाटक 'चरणदास चोर' का मंचन किया। जिसका खास आकर्षण 'पीपली लाइव' से चर्चा में आए ओंकारदास मानिकपुरी उर्फ नत्‍था थे, जिन्‍होंने चोर का किरदार निभाया।

23 अक्‍टूबर को गुरुजी विष्‍णु चिंचालकर पर आधारित एक फिल्‍म का प्रदर्शन हुआ। रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर के चित्रों पर केन्द्रित चित्रकार अशोक भौमिक की एक प्रस्‍तुति हुई। असगर वजाहत,प्रियंवद,मंज़ूर एहतेशाम,वरुण ग्रोवर और रिनचिन का कहानी पाठ हुआ। अरुण कमल,प्रयाग शुक्‍ल, नरेश सक्‍सेना,उदयन वाजपेयी और गुलज़ार जी ने अपनी कविताओं और नज्‍़मों का पाठ किया।

 कार्यक्रम के लिए देवास,होशंगाबाद तथा शाहपुर से आए बच्‍चे तथा अन्‍य साथी भारत भवन के प्रांगण में। कुछ नाम इस तरह हैं- संदीप नाईक,रविकांत मिश्रा,दिनेश पटेल,ब्रजेशसिंह,हेमराज , मुकेश मालवीय,मंजू तिवारी,नंदा तथा चंदन यादव। फोटो : उज्‍जैन से आए देवेश नाग ने लिया।
भारत भवन के विभिन्‍न कला प्रभागों में बच्‍चों के लिए चित्रकला,मिट्टी के खिलौने बनाने,ऑरीगेमी, विज्ञान प्रयोग आदि के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इन सब कार्यक्रमों की विस्‍तृत रपट अभी बन रही है। संभव हुआ तो भविष्‍य में आप भी देख और पढ़ पाएंगे।
                                                               0 राजेश उत्‍साही  

14 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं । आपको और चकमक की पूरी टीम को ।
    साध ही दीपावली की भी अनंत शुभकामनाएं।

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  2. दीवाली मंगलमय हो भाई जी !

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  3. प्रसन्नता का कारण। सबके मन का अन्धतम मिटे, सबका जीवन सफल हो।

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  4. जश्‍ने-बचपन में बच्‍चे कम ही दिख रहे, शायद बड़े-बड़ों का बचपन दिखा होगा. आगे देखते रहेंगे.

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  5. मैंने आपकी तरह ''जश्‍ने-ए-बचपन'' न‍हीं लिखा है, मुझे जश्‍ने-बचपन या जश्‍न-ए-बचपन, लिखना ठीक लग रहा है.

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  6. वाकई दुर्लभ और ऐतिहासिक .... दीपावली की शुभकामनायें आपको , नीमा जी को और बेटे को

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  7. @ रा‍हुल जी जश्‍न-ए-बचपन ही सही है। मैंने गलत लिखा था। सुधार दिया है। आभारी हूं।
    *
    कार्यक्रम में लगभग पांच सौ बच्‍चे थे। हां वे मंच पर नहीं आए,वे दर्शकों में थे।

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  8. साहित्यकारों की उत्सवधर्मिता पढ़/देख कर खुशी हुई।

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  9. उत्सागी जी जश्न-ए-बचपन कार्यक्रम में सम्मिलत नहीं हो सका...दरअसल पहले से ही मशरुफियत थी....कुछ दिन पहले मिला होता तो उससे आज़ाद होकर एक अच्छे कार्यक्रम में सम्मिलत होने का मौका मिलता.....आपकी यायावरी का इंतजार रहेगा....सूचित करते रहें मेल से.आभारी रहूंगा....आपको एक बार फिर दिवाली सूहह के सभी पर्व की शुभकामनाएं....

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  10. गलत नाम के लिए माफी...उत्साही जी...

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  11. Good one small but I was expecting a bigger one rather more critical one....................
    Hope you will write soon and Post upon.
    Sandip Naik,
    Dewas, MP

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  12. बहुत बधाई और शुभकामनायें ... गुलज़ार साहब और आपका सानिध्य ... जरूर कुछ गुल खिले होंगे ...

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  13. क्या बात है...मजा आ गया. हम और आप देहरादून में मिले थे. कुछ याद आया.

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  14. "जश्न-ऐ-बचपन"....वाह...नाम पढ़ कर आनंद आ गया...फिर उसमें आपको और गुलज़ार साहब को देख कर आनंद दुगना हो गया...बहुत प्यारी रिपोर्ट.

    नीरज

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...