Monday, July 12, 2010

हमारा कबीर


मैं
और
नीमा
जब लड़ते हैं
आपस में बात करते हैं
जोर जोर से

ढाई साल का कब्‍बू
दोनों के बीच
आकर खड़ा होता है
और कहता है जोर से
तुम दोनों गंदे हो....।

हम
सुनकर
झेंपते हैं और
अपने को अच्‍छा साबित
करने की कोशिश करने लगते हैं।

 कब्‍बू
जैसा कि आप समझ ही गए होंगे, यह कविता हमारे बेटे कब्‍बू के बारे में है। आज इस कविता के नायक यानी कब्‍बू के लिए एक महत्‍वपूर्ण तारीख है। 13 जुलाई को वह पच्‍चीसवें साल में प्रवेश कर रहा है। यह हमारा बड़ा बेटा है जिसे हम प्‍यार से गोलू भी कहते हैं। वास्‍तव में नाम उसका कबीर है। देखते ही देखते इतना समय बीत गया कि ढाई साल का कब्‍बू अब ढाई दशक का युवक होने जा रहा है।

हमने अपने पहले बच्‍चे का नाम तो नेहा या उत्‍सव सोचा था। लेकिन यह संभव नहीं हुआ। मेरा परिवार होशंगाबाद में था। शायद वह गर्भ का सातवां महीना था जब होशंगाबाद की एक महिला चिकित्‍सक की दवा से नीमा को पूरे शरीर पर एलर्जी हो गई थी। इस घटना से हम सब बुरी तरह घबरा गए थे। इस कारण प्रसव के लिए नीमा इंदौर के काछी मोहल्‍ले में लाल कुएं के पास अपनी बड़ी बहन के घर में थीं।

कब्‍बू और नीमा का पहला फोटो
मुझे याद है कि 12 जुलाई की शाम को नीमा को पास के एक प्राइवेट नर्सिग होम में भर्ती करवाया गया। मैं भी वहां पहुंच गया था। नीमा की बड़ी बहन और बहनोई तो वहां थे ही। नीमा की मां भी सेंधवा से आ गईं थीं। रात भर नीमा दर्द से परेशान रही। डाक्‍टर चाहते थे कि ऑपरेशन करने की नौबत न आए। प्रसव टेबिल पर लेटे-लेटे और टेबिल पकड़कर लगातार जोर लगाने से नीमा की बांहों में सूजन आ गई थी। सुबह चार बजे के लगभग अंतत: बच्‍चे का जन्‍म हुआ। गर्भनाल उसके गले में लिपटी हुई थी। वह रोया नहीं। डॉक्‍टर ने उसे तुरंत ऑक्‍सीजन पर रख दिया। ए‍क बिलांत से कुछ बड़ा बच्‍चा अपनी नानी की गोद में पड़ा था। उसकी हालत देखकर मैं आशंका से भर उठा। नीमा बेसुध थी। मैं मायूस हो गया। नीमा के बहनोई साहब ने मेरी हालत देखी तो मुझे समझाते हुए घर ले गए। कहा सब ठीक हो जाएगा। 

लगभग तीन घंटे बाद मैं दुबारा नर्सिंग होम पहुंचा। नीमा को होश आ चुका था। बच्‍चा अभी भी ऑक्‍सीजन पर ही था। डॉक्‍टर से बात हुई। उन्‍होंने आश्‍वस्‍त किया कि घबराने की कोई बात नहीं। ऐसा होता रहता है। नीमा ने कहा, 'उत्‍सव आ गया है।' मैंने कहा, 'बच्‍चे की ऐसी हालत है, इसे उत्‍सव कैसे कहें। उत्‍सव हमें महसूस ही नहीं हो रहा।' नीमा ने प्रश्‍नवाचक निगाहों से मुझे देखा जैसे पूछ रहीं हों तो फिर। अचानक मैंने नीमा से कहा, 'इसे हम कबीर कहें तो कैसा रहे। यह कबीर की ही तरह अभी अपनी जिंदगी बचाने के लिए लड़ रहा है।' नीमा धीरे से मुस्‍करा दीं। बस हमने तय कर लिया। शायद कबीर नाम ने भी हमें एक हौंसला दिया और अनजाने ही उस बच्‍चे को एक तरह की जीवटता भी।


कबीर,आरती बुआ,मां और छोटे भाई उत्‍सव के साथ
बचपन उसका और बच्‍चों की तरह ही बीता। वह पढ़ने-लिखने में एक औसत छात्र ही रहा। न बहुत तेज न बहुत कमजोर। पर उसकी पढ़ाई को लेकर मेरे अंदर आज भी एक अपराध बोध है। शुरू-शुरू में उसे एक अंग्रेजी माध्‍यम स्‍कूल में भर्ती करवाया था। कक्षा दो में उसे एक ऐसी अध्यापिका मिली,जो लगातार बोल-बोलकर प्रताडि़त करती रहती थी। हमारे घर में अंग्रेजी का माहौल नहीं था और न ही हम पति-पत्‍नी बहुत अच्‍छी अंग्रेजी जानते हैं। नतीजा यह कि कबीर अंग्रेजी भाषा में स्‍कूल की कसौटियों पर खरा नहीं उतर रहा था। बदले में उसे कुछ इस तरह की बातें सुननी पड़ती थीं कि क्‍यों अपने मां-बाप का पैसा बरबाद कर रहे हो। यह सब बातें वह घर आकर सुनाता तो हमारा भी मन कड़वा जाता।

हमें लगा कि ऐसा न हो कि बच्‍चा कुंठित हो जाए और अपनी भाषा भी भूल जाए। तीसरी कक्षा में उसे एक हिन्‍दी माध्‍यम स्‍कूल में भर्ती किया। यह स्‍कूल अपनी अन्‍य कसौटियों पर खरा नहीं उतरा। पांचवी तक वहां पढ़ाई के बाद छठवीं में फिर एक अन्‍य स्‍कूल में भर्ती किया। वहां उसने जैसे-तैसे दसवीं पास की। वहां से निकलकर फिर एक और स्‍कूल में भर्ती हुआ। शुक्र है कि इस स्‍कूल में उसने 72 प्रतिशत अंकों के साथ बोर्ड बारहवीं की परीक्षा पास की। उसके बाद भोपाल के सबसे अच्‍छे कॉलेज से बीकॉम किया। और अभी एमबीए कर रहा है। पर मैं सोचता हूं कि अगर इतने स्‍कूल नहीं बदले होते तो शायद उसकी स्थिति और बेहतर होती।

फुटबॉल खेलने का उसे शौक है। भोपाल के एक क्‍लब की तरफ से बरेली में आयोजित एक टूर्नामेंट में भाग लेने गया था। भोपाल के स्‍थानीय टूर्नामेंटों में भाग लेता ही रहता है। घर की दाल-रोटी उसे बहुत पसंद है। बचपन में तो केवल बिस्‍कुट ही खाया करता था। जो कपड़े हमने बनवा दिए वह पहन लिए। साल भर हुआ तब हम उसे एक मोटर साइकिल खरीद कर दे पाए। वरना वह साइकिल या अपने दोस्‍तों के साथ ही उनकी गाडि़यों पर बैठकर स्‍कूल-कालेज जाता रहा। फिजूलखर्ची या अनुचित मांग करते मैंने उसे कभी नहीं देखा। जब वह बरेली गया था तो मैंने जेबखर्च के लिए चार सौ रूपए दिए। वहां से लौटा तो उसने मेरे हा‍थ में बचे हुए तीन सौ रूपए रख दिए। मैं देखकर अचंभित था।

मैंने अपने केरियर की शुरुआत में केवल सफेद कालर वाले कामों को ही अहमियत नहीं दी थी। जो काम हाथ में आया उसे करता चला गया। कबीर को मैंने यही दृष्टि देने की कोशिश की। उसने इस बात को समझा और अपनी पढ़ाई के साथ-साथ जो भी छोटे-मोटे काम मिले उन्‍हें करता गया। अभी भी करता है। मैं समझता हूं हम उसे उस जगह पर लाने में कामयाब हुए हैं, जहां से वह अपनी जिंदगी आत्‍मनिर्भर होकर जी सकता है।

मुझे कबीर पर लिखी एक और कविता याद आ रही है-

कब्‍बू
अब हो गया है
ढाई साल का
ढाई साल का
कब्‍बू समझता है
दफ्तर का काम
काम के पैसे
और पैसों का अर्थशास्‍त्र

समझता है वह पगार
और यह कि उसी से
आते हैं बिस्‍कुट,दूध,दाल,रोटी और गाजर
हवाई जहाज, जीप
आइसक्रीम और टमाटर
पापा जाते हैं दफ्तर
काम करने
पैसा लाने

ढाई साल का
कब्‍बू सब समझता है।

सचमुच कबीर यह सब समझता रहा है और अब भी समझ रहा। तभी तो जब मैं पिछले डेढ़ साल से मैं यहां बंगलौर में हूं, वह भोपाल में घर की सारी जिम्‍मेदारियां उठा रहा है। 
तो कबीर बेटे जन्‍मदिन की चौबीसवीं वर्षगांठ और पच्‍चीसवें साल में प्रवेश बहुत-बहुत मुबारक।   
                                                        * राजेश उत्‍साही

22 comments:

  1. rajesh ji ,kabeer jaisa beta aur aap jaisa pita.. kya kahna
    bete ke janm-din ki dher sari bdhaiyan

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  2. Dear Kabir-

    Many happy returns of the day !

    Tum Jiyo hazaaron saal , saal ke din hon pachaas hazar !

    Khub padhai karo, maa-baap ka naam roshan karo, aur apne DESH ka bhi naam uncha karna.

    @- Rajesh ji and Nimmo bhabhi-
    aap dono ko Kabeer ke janam din ki bahut bahut badhai !

    fir se Kabbu ko janam din ki shubhkaamnayien.

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  3. बेटे के जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाये॥

    आप जैसे पिता के होते बच्चे से ऐसी ही समझदारी की उम्मीद की जा सकती है।

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  4. Bahche maa baap ka pratirup hi to hote hain.Hum unhe jaisa dhalen..
    Aur haan,Kabir ko janam din ki dheron shubkamnayen.

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  5. varsh gaanth par
    bahut bahut
    badhaaee

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  6. @शुक्रिया दिव्‍या,वंदना जी।
    @शुक्रिया संध्‍या जी। आपने सही कहा । किंतु यह भी जरूरी है कि आप बच्‍चों को ढलने भी दें।
    @शु्क्रिया मुफलिस जी ।

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  7. देर से आई हूँ कब्बू.... पर ढेर सारा आशीर्वाद... १३ बहुत प्रभावशाली अंक है, बहुत आगे जाओगे. पूछोगे मैं कैसे कह सकती हूँ १३ अंक के बारे में ... मेरा भी जन्मदिन १३ है, १३ फरवरी- मुझे भी विश करना . उसी दिन अगले साल मैं अपने बेटे की शादी कर रही हूँ, तुम्हारी उम्र का ही है-

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  8. राजेश जी खुशकिस्मत हैं आप के आपको कब्बू -कबीर सा सपूत बेटा इश्वर ने दिया है...दुआ करता हूँ के वो हमेशा ऐसा सच्चा -अच्छा ही रहे और खूब तरक्की करे...इश्वर उसे वो सब कुछ दे जिसकी भी वो कामना करे...
    मेरा आशीर्वाद भी उस तक पहुंचा दें.

    नीरज

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  9. Kabbu ka dheer saara ashirwaad. Aap khushkismat hain ki aapko ghar pariwar sambhalne wala pyara beta mila hai jo apni jimedari bakhubi nibha raha hai, aur Kabir ko bhi apne aap par garv hoga ki aap jaise dher saara pyar karne wale PITA jo unke saath hain.....
    Sundar manobhaon se saji aapki dono kavitayen aur pariwarik chintran padhkar man aalahadit hua... Nisandeh aapke saaf suthre sanskaar bete ko sada khushnuma mahaul mein rakhengen....

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  10. ऊपर की कविता सबसे अच्छी लगी दोस्त !
    हर घर की पिक्चर खींचने में सफल रहे हो दोस्त ! कबीर में आपका प्रतिबिम्ब झलक रहा है , लगता है आपकी हूबहू कापी है , सह्रदय तो होगा ही ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !

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  11. देरी के लिए क्षमा चाहती हू. और आपके बेटे कबीर को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाये...आपका बेटे आपकी ही कार्बन कॉपी लग रहा है.
    और जैसा आपने बताया की आपकी गैर-हाजिरी में पूरी जिम्मेदारियां निभा रहा है तो और माता पिता क्या उम्मीदे रखते हैं ...ऐसे बेटे पा कर तो माता पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

    ऐसे योग्य पुत्र के पिता होने के लिए बधाई. अच्छे संस्कार डालने वाले तो आखिर आप दोनों माता पिता ही हैं.

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. @ tumhare liye ji,
    Shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @ Divya ji,

    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @ वन्दना ji,

    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @सतीश सक्सेना ji,
    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @अनामिका की सदायें ji,

    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @ कविता रावत ji,

    shuahmanao aur aapke aashirvaad ke liye aapka dhanyavaad.

    @ MUFLIS ji,

    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.


    @ sandhyagupta ji,

    shubhkamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    @ नीरज गोस्वामी ji,

    Aapke aashirvaad ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    aapka aashirvaad es blog ke jariye mujh tak pahuch gya hai.

    @ रश्मि प्रभा ji

    Aapki shubhkamnao aur aashirvaad ke liye bahut bahut dhanyavaad.

    aunty ji, dair se shubhkamna dene se uska asar to kam nhi hota hai.... aapka aashirvaad blog ke jariye mujh tak pahuch chuka hai.

    Ek baar aur aap sabhi logo ka bahut bahut shukriya jo aapne mujhe shubhkamnaye aur apna aashirvaad pradaan kiya.

    - kabir

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  14. कब्बू को जन्म दिन की शुभकामनाएँ , कब्बू उर्फ गोलू जी पर लिखी , दोनों ही कविताएँ , सहज और अच्छी । कब्बू जैसे बच्चे आज कम है।कब्बू खूब खूब उन्नति करें यही आशीष है....

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  15. pahlee vaar shayad aaee hoo kaveer ke janmdin kee bahut bahut badhaee........aapne jo school aur teacher ka khaka kheecha hai satishjee ne theek likha har ghar kee vo dastan hai jo hindi bhashee hai..........
    convent teachers ka ravaiya aisaa hee rahta hai.........
    shahro me to parents ke interview hote hai pahile hume pass hona padta hai fir bacche ko dakhila milta hai.......

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  16. राजेश जी, एक एक शब्द पड़ा - और पता नहीं क्यों अश्रु से झलक पड़े ...बहुत सरल और जीवंत चित्रण

    बहुत बहुत शुभकामनायें और कबीर बहुत आगे जाए ऐसे मेरी ईश्वर से कामना !!

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  17. आप के बेटे कबीर के लिए जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ ,कविता और चित्र और बचपन की यादें हम सब से बांटीं .अच्छा लगा .
    बहुत बहुत आभार.

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  18. [एक गुजारिश है कि आप प्रोफाइल में जो आप की सक्रीय साईट हैं उन्हें ही प्रदर्शित करें. आप के प्रोफाइल में ५ साईट हैं मैं पहली बार आई हूँ तो सब से ऊपर जो दिखी उस पर चली आई.आप ने अपनी टिप्पणी में पाखी पर कविता पढ़ने के लिए लिखा था वह तो दिखी नहीं.]-सादर

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  19. बड़े दिनों से गुल्लक में कुछ डाला ही नहीं ???

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  20. aadarniy sir,
    sabse pahale kabeer ko uske janamdin ke liye hardik shubh -kamnaayen.
    aur sir aapko bhi kabeer jaisa beta milne ke liye badhai.sach maa -pita ji ki kasouti par yadi bachche khare utarte hai to isase badh kar maa-pita ke liyeaur khushi ki kya baat ho sakti hai.
    poonam

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  21. देर से आया कबीर भाई, पर आपको जन्म दिन की और हर दिन की ढेरों बधाई तो दे ही सकता हूँ
    उन्नति करें!

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  22. भावनाओं से भरा एक बेहतरीन पोस्ट।
    कबीर को अनंत शुभकामनाएं।

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...