शेक्सपीयर ने कहा था कि ‘नाम में क्या रखा है।’ सवाल वास्तव में यही है कि आपने उसमें रखा क्या है। अगर कुछ नहीं रखा है तो कुछ नहीं दिखेगा। सच तो यह कि हम हर किसी को नाम से ही तो याद करते हैं। आजकल तो नाम का ही दाम है। मैं नई जगह, नए लोगों के बीच आया हूं। हर कोई जानना चाहता है कि मेरा यह नाम कैसे बना,किसने रखा। पहले भी लोग मुझसे पूछते रहे हैं। मैं बताता भी रहा हूं। मैंने सोचा एक नाम पुराण भी हो जाए। लेकिन जब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।