Friday, March 27, 2009

हमारे हाथ ‍

हाथ दुआ है
हाथ दवा है
हाथों में ही
बसी हवा है

हाथ प्‍यार है
हाथ वार है
हाथों में ही
आविष्‍कार है

हाथ खेल है
हाथ रेल है
हाथों में ही
चम्‍पी-तेल है

हाथ्‍ा कलम है
हाथ श्रम है
हाथों में ही
छुपी शरम है

हाथ कान है
हाथ जुबान है
हाथों में ही
यह जहान है

राजेश उत्‍साही
2009

No comments:

Post a Comment

जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...