हमारे हाथ कविता रूमटूरीड के लिए लिखी गई है। इसे उन्होंने एक पोस्टर के रूप में बच्चों के लिए प्रकाशित किया है। रूमटूरीड बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि पैदा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है। इस कविता के लिए जीतेन्द्र ठाकुर ने बहुत सुन्दर चित्र बनाए हैं।
बंगलौर में प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए अजीम प्रेमजी फांउडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक स्कूल के लगभग सौ बच्चे फांउडेशन का दफ्तर देखने मार्च 2009 के आखिरी दिनों में आए थे। उनमें से ज्यादातर हिन्दी नहीं समझते थे। मैंने कुछ हाव-भाव के साथ उन्हें अपनी यह कविता गाकर सुनाई। बच्चों ने बहुत उत्साह से इसे दोहराया। उनके साथ आए एक शिक्षक ने कन्नड़ में इसका अर्थ भी समझाया। 9 अप्रैल को स्कूल में बाल मेला था। मैं भी वहां गया। मुझे देखते ही हर बच्चा कविता की जो भी पंक्ति उसे याद रह गई थी, हाव-भाव के साथगाने लगा। एक कवि का और क्या चाहिए ?
बंगलौर में प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए अजीम प्रेमजी फांउडेशन द्वारा चलाए जा रहे एक स्कूल के लगभग सौ बच्चे फांउडेशन का दफ्तर देखने मार्च 2009 के आखिरी दिनों में आए थे। उनमें से ज्यादातर हिन्दी नहीं समझते थे। मैंने कुछ हाव-भाव के साथ उन्हें अपनी यह कविता गाकर सुनाई। बच्चों ने बहुत उत्साह से इसे दोहराया। उनके साथ आए एक शिक्षक ने कन्नड़ में इसका अर्थ भी समझाया। 9 अप्रैल को स्कूल में बाल मेला था। मैं भी वहां गया। मुझे देखते ही हर बच्चा कविता की जो भी पंक्ति उसे याद रह गई थी, हाव-भाव के साथगाने लगा। एक कवि का और क्या चाहिए ?