फोटो : राजेश उत्साही |
Thursday, May 17, 2012
परीक्षा परिणाम और हम
Tuesday, May 15, 2012
एक पत्र डॉ.अंबेडकर का
प्रो. पालिस्कर आपके कार्यालय में
तथाकथित रिपब्लिकन पार्टी के चार सदस्यों द्वारा मेरे कार्टून को लेकर जो तोड़फोड़ की गयी उसके लिए मुझे बहुत खेद
है। मुझे
विश्वास है कि शायद वे नहीं जानते कि उन्होंने क्या किया है। इसलिए आप उन्हें
माफ़ कर दें। उनके इस कृत्य पर मैं भी बहुत दुखी हूँ कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। मैं समझ नहीं पा रहा
हूँ कि ऐसा करके उन्होंने मेरे कौन से आदर्श
की पूर्ति की है।
Saturday, May 12, 2012
एक कार्टून कितना कुछ कहता है..
कार्टूनिस्ट : शंकर। चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के सौजन्य से |
एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित कक्षा 11 वीं की ‘ भारत का संविधान- सिद्धांत और व्यवहार’ के पहले अध्याय-संविधान:क्यों और
कैसे?- में यह कार्टून प्रकाशित किया गया है। कार्टून के नीचे लिखा है- संविधान
बनाने की रफ्तार को घोंघे की रफ्तार बताने वाला कार्टून। संविधान के निमार्ण में
तीन वर्ष लगे। क्या कार्टूनिस्ट इसी बात पर टिप्पणी कर रहा है? संविधान सभा को
अपना कार्य करने में इतना समय क्यों लगा?
Tuesday, May 8, 2012
सवाल उठाता एक खुला खत
फोटो : राजेश उत्साही |
द हिंदुस्तान टाइम्स की एक घोषणा ने हमारा ध्यान
खींचा,जिसमें यह मंशा जताई गई थी कि अखबार की हरेक प्रति से होने वाली आय में से
पांच पैसा भारत के गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। हालांकि यह साफ
नहीं है कि यह राशि किस तरह खर्च की जानी है। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि
बच्चों की शिक्षा गाहे-बगाहे किया जाने वाला काम नहीं है। स्कूलीकरण एक ऐसा
समग्र अनुभव है जो पाठ्यचर्या की बुनावट के जरिए बहुत सारे व चुनिंदा घटकों से
मिलकर बना होता है,जिसमें ऐसे शैक्षिक लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश की जाती
है ,जिसे कोई भी समाज अलग-अलग वक्तों पर अपने लिए खुद तय करता है।
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