प्रिय भाई , एक बार किसी कवि ने बड़ी निराशा में हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा, लिखने-पढने का क्या फायदा, हम जितना लिखते हैं, समाज उतना ही बुरा बनता चला जाता है। फिर किसके लिए लिखते हैं हम। लिखना क्यों न बंद कर दिया जाए। द्विवेदी जी ने कहा, उस एक पाठक के लिए, जिसके द्वारा तुम्हारी रचना पढ़े जाने की संभावना है। हम लिखने वाले लोगों को इतना धैर्य रखना चाहिए। वक्त खुद भी कचरा साफ करता है। जो अच्छा करते हैं, अच्छा लिखते हैं, वही समय की शिला पर अंकित होते हैं।
इसलिए हमेशा आशा से भरे रहो और अच्छा से अच्छा लिखने का प्रयास करो। तुम्हारे अन्दर आग है और उसे जलाये रखना ही तुम्हारी जिम्मेदारी है।हौंसला देने के लिए शुक्रिया सुभाष भाई। पर्यावरण दिवस की बीतती हुई रात पर ब्लाग की दुनिया में फैल रहे प्रदूषण को साफ करने का संकल्प लेकर एक आशा भरी सुबह की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे में मुझे मेरी एक पुरानी कविता याद आ रही है-
अधेड़ पेड
फिर हरा हो रहा है
आ रही हैं नई पत्तियां
हरियाली में संचित हो रही है ऊर्जा
जन्म ले रही कोशिकाएं
बन रहा है प्लाज्मा
सक्रिय हो रहा है
केन्द्रक
अधेड़ पेड़ में ।
**राजेश उत्साही
VAH RAJESH BHAI, EK-EK SHABD KA UPYOG KARNA KOI AAP SE SEEKHE. ABHI KYA, ABHI TO ADHED PED KO PHOOLNA HAI, PHALNA HAI, JEEVAN KE VISTAR KE LIYE URJA DENI HAI.
ReplyDeleteAISA PED SIRF HOTA HAI PED
VAH NAHIN HOTA KABHI ADHED
हम लिखने वाले लोगों को इतना धैर्य रखना चाहिए। वक्त खुद भी कचरा साफ करता है। जो अच्छा करते हैं, अच्छा लिखते हैं, वही समय की शिला पर अंकित होते हैं।
ReplyDeleteaur Chhoti kintu purn saarthakta liye aapki ye panktiyan aashawan bane rahne ke liye nayee urja ka sancharan kar rahi hain...
अधेड़ पेड
फिर हरा हो रहा है
आ रही हैं नई पत्तियां
हरियाली में संचित हो रही है ऊर्जा
जन्म ले रही कोशिकाएं
बन रहा है प्लाज्मा
सक्रिय हो रहा है
केन्द्रक
अधेड़ पेड़ में ।
Saarthak Prastuti ke liye Haardik shubhkamnayne
कहीं सुना था " जो रचेगा वही बचेगा "
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
मेरे ब्लॉग पर जर्रा नवाजी का बहुत शुक्रिया.
सुभाष जी,कविता जी और शिखा जी आप सबका शुक्रिया।
ReplyDeleteपेड़ अब अधेड़ नहीं रहेगा
ReplyDeleteजब से गुल्लक में जमा हुआ
रंग चटक गया है इतना हरा
पूरा मनमंदिर ही गहरा हुआ।
HUM PEDO SE SUBKOOCHH LETE HAI.
ReplyDeletePED KE ADHED UMRA ME BHI HARA BHARA HONA PRERNADAYK HAI.
SAHI SOCH HAI AAPKI.
UDAY TAMHANEY.
BHOPAL.