Saturday, June 5, 2010

सुभाष उवाच

बात -बेबात के भाई सुभाष जी से इन दिनों ब्‍लागिंग के बारे में लगातार विमर्श हो रहा है। मेरे एक मेल के जवाब में उन्‍होंने लिखा है-
प्रिय भाई , एक बार किसी कवि ने बड़ी निराशा में हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा, लिखने-पढने का क्या फायदा, हम जितना लिखते हैं, समाज उतना ही बुरा बनता चला जाता है। फिर किसके लिए लिखते हैं हम। लिखना क्यों न बंद कर दिया जाए। द्विवेदी जी ने कहा, उस एक पाठक के लिए, जिसके द्वारा तुम्हारी रचना पढ़े जाने की संभावना है। हम लिखने वाले लोगों को इतना धैर्य रखना चाहिए। वक्त खुद भी कचरा साफ करता है। जो अच्छा करते हैं, अच्छा लिखते हैं, वही समय की शिला पर अंकित होते हैं।
इसलिए हमेशा आशा से भरे रहो और अच्छा से अच्छा लिखने का प्रयास करो। तुम्हारे अन्दर आग है और उसे जलाये रखना ही तुम्हारी जिम्मेदारी है।
हौंसला देने के लिए शुक्रिया सुभाष भाई। पर्यावरण दिवस की बीतती हुई रात पर ब्‍लाग की दुनिया में फैल रहे प्रदूषण को साफ करने का संकल्‍प लेकर एक आशा भरी सुबह की उम्‍मीद की जा सकती है। ऐसे में मुझे मेरी एक पुरानी कविता याद आ रही है-

अधेड़ पेड
फिर हरा हो रहा है
आ रही हैं नई पत्तियां
हरियाली में संचित हो रही है ऊर्जा

जन्‍म ले रही कोशिकाएं
बन रहा है प्‍लाज्‍मा
सक्रिय हो रहा है
केन्‍द्रक
अधेड़ पेड़ में ।
                       **राजेश उत्‍साही

6 comments:

  1. VAH RAJESH BHAI, EK-EK SHABD KA UPYOG KARNA KOI AAP SE SEEKHE. ABHI KYA, ABHI TO ADHED PED KO PHOOLNA HAI, PHALNA HAI, JEEVAN KE VISTAR KE LIYE URJA DENI HAI.
    AISA PED SIRF HOTA HAI PED
    VAH NAHIN HOTA KABHI ADHED

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  2. हम लिखने वाले लोगों को इतना धैर्य रखना चाहिए। वक्त खुद भी कचरा साफ करता है। जो अच्छा करते हैं, अच्छा लिखते हैं, वही समय की शिला पर अंकित होते हैं।
    aur Chhoti kintu purn saarthakta liye aapki ye panktiyan aashawan bane rahne ke liye nayee urja ka sancharan kar rahi hain...
    अधेड़ पेड
    फिर हरा हो रहा है
    आ रही हैं नई पत्तियां
    हरियाली में संचित हो रही है ऊर्जा

    जन्‍म ले रही कोशिकाएं
    बन रहा है प्‍लाज्‍मा
    सक्रिय हो रहा है
    केन्‍द्रक
    अधेड़ पेड़ में ।
    Saarthak Prastuti ke liye Haardik shubhkamnayne

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  3. कहीं सुना था " जो रचेगा वही बचेगा "
    सार्थक प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
    मेरे ब्लॉग पर जर्रा नवाजी का बहुत शुक्रिया.

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  4. सुभाष जी,कविता जी और शिखा जी आप सबका शुक्रिया।

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  5. पेड़ अब अधेड़ नहीं रहेगा
    जब से गुल्‍लक में जमा हुआ
    रंग चटक गया है इतना हरा
    पूरा मनमंदिर ही गहरा हुआ।

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  6. HUM PEDO SE SUBKOOCHH LETE HAI.
    PED KE ADHED UMRA ME BHI HARA BHARA HONA PRERNADAYK HAI.
    SAHI SOCH HAI AAPKI.
    UDAY TAMHANEY.
    BHOPAL.

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जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...