Tuesday, October 25, 2011
Wednesday, October 19, 2011
चम्पा और काले अच्छर : त्रिलोचन जी की कविता है
(मित्रो
क्षमा चाहता हूं। 8 सितम्बर को पोस्ट की गई इस कविता के
साथ नागार्जुन जी का नाम चला गया था। त्रिलोचन और नागार्जुन समकालीन कवि हैं। कम से कम मुझे इनमें से जब भी किसी एक की
याद आती है तो बरबस दूसरा भी याद आ ही जाता है। यादों के इस घालमेल में उस समय यह चूक हो गई। आज कर्मनाशा वाले सिद्धेश्वर सिंह जी
ने मेरा ध्यान इस ओर खींचा। मैं उनका बहुत बहुत आभारी हूं। कविता एक बार फिर से
प्रस्तुत है।)
Sunday, October 16, 2011
शतक ' चकमक ' का
इस 22 अक्टूबर को एकलव्य द्वारा प्रकाशित मासिक बालविज्ञान पत्रिका चकमक के 300 वें अंक का विमोचन
भोपाल के भारत भवन में गुलज़ार कर रहे हैं। चकमक के प्रकाशन का यह 27 वां साल है।
कह सकते हैं एक तरह से चकमक अब परिपक्व हो गई है।
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