Tuesday, October 25, 2011

जश्‍न-ए-बचपन


चकमक के 300वें अंक के विमोचन के अवसर पर जश्‍न-ए-बचपन के नाम से भोपाल में तीन‍ दिन का आयोजन 21 से 23 अक्‍टूबर तक था। 21 अक्‍टूबर को जाने माने शिक्षाविद् कृष्‍णकुमार की उपस्थिति में शिक्षा में बालसाहित्‍य की भूमिका पर चर्चा हुई। 

Wednesday, October 19, 2011

चम्‍पा और काले अच्‍छर : त्रिलोचन जी की कविता है


(मित्रो क्षमा चाहता हूं। 8 सितम्‍बर को पोस्‍ट की गई इस कविता के साथ नागार्जुन जी का नाम चला गया था। त्रिलोचन और नागार्जुन समकालीन कवि हैं। कम से कम मुझे इनमें से जब भी किसी एक की याद आती है तो बरबस दूसरा भी याद आ ही जाता है। यादों के इस घालमेल में उस समय यह चूक हो गई। आज कर्मनाशा वाले सिद्धेश्‍वर सिंह जी ने मेरा ध्‍यान इस ओर खींचा। मैं उनका बहुत बहुत आभारी हूं। कविता एक बार फिर से प्रस्‍तुत है।)

Sunday, October 16, 2011

शतक ' चकमक ' का


इस 22 अक्‍टूबर को एकलव्‍य द्वारा प्रकाशित मासिक बालविज्ञान पत्रिका चकमक के 300 वें अंक का विमोचन  भोपाल के भारत भवन में गुलज़ार कर रहे हैं। चकमक के प्रकाशन का यह 27 वां साल है। कह सकते हैं एक तरह से चकमक अब परिपक्‍व हो गई है।