23 जून से दो दिन पहले हमेशा बड़ा दिन रहा है सबके लिए। बच्चों को पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाया जाता है कि 21 जून का दिन साल में सबसे बड़ा या लंबा होता है। यानी सूरज देर में डूबता है। पर मेरे लिए तो 23 जून और भी बड़ा दिन है। इस दिन मेरी शादी जो हुई थी। इतना ही नहीं संयोग से छोटे भाई अनिल की शादी भी रानी के साथ आज के ही दिन हुई थी। आज मेरी शादी की चौबीसवीं सालगिरह है।
पर मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि इस सालगिरह को मैं कैसे याद रखूं। क्या इसलिए याद रखूं कि चौबीस सालों में पहला मौका है जब मैं पत्नी नीमा के साथ नहीं हूं।(यहां फोटो में उनके साथ हूं।) अपने घर में नहीं हूं। क्या इसलिए याद रखूं कि इस महत्वपूर्ण दिन का सूरज बंगलौर में निकला,आसमान में वह दिल्ली में चढ़ा और रूद्रपुर के रास्ते में मुरादाबाद के आसपास अस्त हुआ। या शायद इसलिए भी याद रखा जा सकता है कि आज की रात में रूद्रपुर के उत्तराखंड ग्राम्य विकास संस्थान के प्रशिक्षण केन्द्र में गुजारूंगा।
पर मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि इस सालगिरह को मैं कैसे याद रखूं। क्या इसलिए याद रखूं कि चौबीस सालों में पहला मौका है जब मैं पत्नी नीमा के साथ नहीं हूं।(यहां फोटो में उनके साथ हूं।) अपने घर में नहीं हूं। क्या इसलिए याद रखूं कि इस महत्वपूर्ण दिन का सूरज बंगलौर में निकला,आसमान में वह दिल्ली में चढ़ा और रूद्रपुर के रास्ते में मुरादाबाद के आसपास अस्त हुआ। या शायद इसलिए भी याद रखा जा सकता है कि आज की रात में रूद्रपुर के उत्तराखंड ग्राम्य विकास संस्थान के प्रशिक्षण केन्द्र में गुजारूंगा।