Saturday, July 1, 2017

लघुकथा : वे तीन

वे तीन थे। छड़े-छटाक।

साझा किराए के वनबीएचके में रहते थे। घर चालनुमा अपार्टमेंट में दूसरे माले पर था। एक ही डिजायन के 36 मकान थे उसमें।

ज्‍यादातर मकानों में दूर-दराज कस्‍बों से आए उन जैसे छड़े-छटाक ही रहते थे। पर एकाध में परिवार वाले भी आ जाते थे। 

उनके पड़ोस वाले मकान में भी हाल ही में दस सदस्‍यों का एक परिवार आया था। परिवार में पाँच मनुष्‍य और पाँच पौधे थे। मनुष्‍य तो मकान के अंदर रहते थे, पर पौधों ने मकान के सामने की छोटे से गलियारे में अपना आवास बनाया था। उनमें तुलसी भी थी, गुलाब भी था, सदासुहागन भी।

परिवार के आने से पड़ोस में थोड़ी-चहल पहल हो गई थी। थोड़ी हँसी खनकने लगी थी, थोड़ी खुशबू महकने लगी थी। पर जैसा अक्‍सर होता है कि शुरुआत में सब कुछ अच्‍छा लगता है। फिर अच्‍छी चीज में भी ऐब नजर आने लगते हैं।

पौधे थे तो उनमें पानी दिया जाना भी जरूरी था। दिया भी जाता था। पानी तो पानी है, उसकी प्रकृति बहने की है। जहाँ जगह मिले बहने लगता है। पौधे अपने गमले की मिट्टी में जितना सोख पाते, सोख लेते। बचा हुए गलियारे के फर्श पर बहता उन छड़े-छटाकों के दरवाजे को गीला करता आगे निकल जाता। फर्श के ढलान में भी ऐब था। ढलान बराबर नहीं थी। तो होता यह कि थोड़ा पानी, कुछ देर से थोड़ी अधिक देर के लिए, वहीं ठहर जाता।
बस यह ठहरा हुआ पानी उन तीनों के बीच अनचाहे विवाद का कारण बन जाता।

पहला इस बात से बहुत नाराज होता कि पड़ोस के परिवार को इतना पानी पौधों को पिलाना ही नहीं चाहिए, कि वह बहकर किसी ओर के दरवज्‍जे पर आए। वह इस बारे में अपने तर्क देता। मसलन पानी बाल्‍टी से क्‍यों डाला जाता है। पानी मग्‍गे या लोटे से डाला जाना चाहिए। डालते समय गमलों के निचले हिस्‍से पर नजर रखी जानी चाहिए। ताकि जैसे ही पानी नीचे से बहने लगे, उसे डालना बंद कर दिया जाए। अतिरिक्‍त पानी सोखने के लिए गमलों के आसपास कपड़ों की पार बनानी चाहिए आदि आदि। यह सब कहते हुए वह घर के एकमात्र हाल में यहाँ से वहाँ लगातार चहलकदमी करता रहता। वह बोलते हुए अपनी आवाज भरसक इतनी ऊँची रखता कि पड़ोसी जरूर सुन लें। पर इसका कोई फायदा नहीं था, क्‍योंकि वे छड़ों की भाषा समझते नहीं थे। 

दूसरा थोड़ा उदार था। गुस्‍सा तो उसे भी आता था। पर उसे पौधों को दिए जाने वाले पानी या पानी की मात्रा से कोई आपत्ति नहीं थी। दरवज्‍जे पर बहते पानी से भी कोई एतराज नहीं था। उल्‍टे वह कहता, ‘चलो इस बहाने अपना दरवज्‍जा भी धुल गया।’ वह हॉल के एक कोने में बैठा अपने लैपटॉप में आँखे गड़ाए, कभी-कभी अपनी बात में इतना और जोड़ देता, ‘पड़ोसियों को ऐसा कुछ तो करना ही चाहिए कि पानी हमारे दरवज्‍जे पर ठहरे न। और अगर ठहर गया है तो फिर झाडू़ से उसे थोड़ा आगे बढ़ा देना चाहिए ताकि पानी बहकर गलियारे में बनी मोरी में चला जाए।’ 

जब-जब पौधों में पानी डाला जाता और वे घर पर होते उनके बीच यह वाद-विवाद जरूर होता।

तीसरा अपने काम में लगा चुपचाप इन दोनों का यह वाद-विवाद सुनता रहता। फिर जब उकता जाता, तो उठता और बाथरूम से वाइपर लाकर पानी को गलियारे में बनी मोरी तक धकाकर आ जाता। 

दोनों तीसरे की इस कार्यवाही को हिकारत से देखते और कहते, ‘बस हमें इसकी यही आदत पसंद नहीं है।’

                                                                                                                               0 राजेश उत्‍साही 

22 comments:

  1. बहुत खूब ,
    हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
    मानते हैं न ?
    मंगलकामनाएं आपको !
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
    Replies
    1. Great Article IoT Projects for Students

      Deep Learning Projects for Final Year

      JavaScript Training in Chennai

      JavaScript Training in Chennai

      The Angular Training covers a wide range of topics including Components, Angular Directives, Angular Services, Pipes, security fundamentals, Routing, and Angular programmability. The new Angular TRaining will lay the foundation you need to specialise in Single Page Application developer. Angular Training

      Delete
  2. ऐसा हर जगह होता है | करने वाले कर जाते है बाकि बस भाषणबाजी में ही लगे रहते है |

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  4. जय हिन्द...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...

    ReplyDelete

  5. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 20 दिसंबर2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  6. आदरणीय राजेश जी -- बहुत ही अच्छी लगी ये रचना | तीन दोस्तों के माध्यम से मन के संवाद अनुपम हैं | बहुत मन से लिखी रचना अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम है | हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करती हूँ आपको सादर --

    ReplyDelete
  7. उद्देश्यपरक प्रभावी लघुकथा. बधाई एवं शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. मनुष्य के तीनों गुण सर्वव्यापी है. और तीसरे वाले कोई पसंद नहीं करता , क्योंकि उसे बेवज़ह का विवाद नहीं चाहिए. विचारपूर्ण कथा.

    ReplyDelete
  10. What an Article Sir! I am impressed with your content. I wish to be like you. After your article, I have installed Grammarly in my Chrome Browser and it is very nice.
    unique manufacturing business ideas in india
    New business ideas in rajasthan in hindi
    blog seo
    business ideas
    hindi tech

    ReplyDelete

जनाब गुल्‍लक में कुछ शब्‍द डालते जाइए.. आपको और मिलेंगे...