दो हफ्ते पहले मैं कुछ खरीदने एक मॉल में चला गया। रिलीज
से पहले ही वहां ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की सीडी मौजूद थी। कीमत थी 130 रुपए। तीन
बार उसे उठाया,उल्टा-पलटा और फिर रख दिया।
इस बीच वासेपुर की चर्चा जहां-तहां पढ़ने को मिलती
रही। 22 जून को वह रिलीज भी हो गई। 23 जून को शादी की सालगिरह थी। मैं बंगलौर में अकेला
था। सोचा चलो इस फिल्म को देखकर ही सालगिरह को यादगार बना लिया जाए।
मारुतहल्ली रोड पर एक मल्टीप्लैक्स में बालकनी का
180 का टिकट लेकर फिल्म देखने पहुंचा। फिल्म शुरू होने के पहले ही दर्शकों की सीटियां और आवाजें सुनने को मिलने लगीं। पिछले तीन साल में बंगलौर में देखी जाने वाली मेरी यह दसवीं या बारहवीं फिल्म होगी। पहली बार मैं यह दृश्य देख रहा था। दर्शकों में ज्यादातर
नौजवान और उत्तरभारतीय ही नजर आ रहे थे।