फागुन की दुपहरिया तपे,  चिकोटी काटे रात
मीत बिना बीतें घड़ी,  भली लगें ना सौगात।  
भींज-भांज कोरे रहे ,  भई रंगन की बरसात
वे मलें गुलाल गाल पर,  हम तो केवल हाथ ।
रंग अबीर गुलाल संग,  ठिठोली की बौछार 
लाए कितनी बिसरी यादें,  होली का त्यौहार।  
होली नुक्कड़ गली जले, जले मनवा छौना 
नैनन की पिचकारी चले, जैसे जादू टोना।
उत्सव, उल्लास, उमंग की उत्साही भावना 
हो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना। 
                   *राजेश उत्साही 
( भींज-भांज=भीगना । छौना=बच्चा।)
1 मार्च,2010 बंगलौर
 
 
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं. पढ़ते रहिए www.sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम
ReplyDeleteहोली के रंगबिरंगे त्यौहार पर शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
उत्सव, उल्लास, उमंग की उत्साही भावना
ReplyDeleteहो रंगों का हुड़दंग शुभ,यह फागुनी कामना।
कैलाश गौतम के फागुनी और बसंती दोहे याद आए.
ReplyDeleteRANGO SE SARABOR.
ReplyDeleteSOONDAR.
UDAY TAMHANEY.
BHOPAL.