Wednesday, January 13, 2010

खुशी उतनी ही दुर्लभ है, जितनी कि तितली: रस्किन बॉण्ड

( यह लेख मुझे http://apkikhabar.blogspot.com पर पढ़ने को मिला। रस्किन बॉण्ड् ऐसे रचनाकार हैं,जिनका लेखन दिल की गहराईयों तक उतर जाता है। उनके इस छोटे से लेख को मैं जितनी बार पढ़ता हूं,मुझे वह नए अर्थ देता है,नई उर्जा देता है। मैं यहां उसका संपादित अंश दे रहा हूं।)

खुशी उतनी ही दुर्लभ है, जितनी कि तितली। हमेशा खुशी के पीछे-पीछे नहीं भागना चाहिए। अगर आप शांत, स्थिर बैठे रहेंगे तो हो सकता है कि वह आपके पास आए और चुपचाप आपकी हथेलियों पर बैठ जाए। लेकिन सिर्फ थोड़े समय के लिए। उन छोटे-छोटे कीमती लम्हों को बचाकर रखना चाहिए क्योंकि वे बार-बार लौटकर नहीं आते।