tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post4504537168124291417..comments2023-11-18T06:23:22.197-08:00Comments on गुल्लक: जब बुद्ध फिर मुस्कराए....राजेश उत्साहीhttp://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-21804762478156452842011-02-14T03:46:27.067-08:002011-02-14T03:46:27.067-08:00जीभ और मन पर नियंत्रण बड़ी बात है। अपने विचार से त...जीभ और मन पर नियंत्रण बड़ी बात है। अपने विचार से तो न कुछ पकड़ो ना कुछ छोड़ो।...उम्दा पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-44335726352062583602011-02-14T03:44:00.208-08:002011-02-14T03:44:00.208-08:00This comment has been removed by the author.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-55781723963257424762011-02-05T05:23:55.448-08:002011-02-05T05:23:55.448-08:00..शायद यही वजह है कि ब्लागिंग का यह नया शौक लग गय.....शायद यही वजह है कि ब्लागिंग का यह नया शौक लग गया। पर कोशिश यही है कि इसका नशा भी सिरकर चढ़कर न बोले ।................... हाँ भैया बचकर रहना बहुत रोगी हैं ब्लॉग्गिंग के... वैसे तो बुरा तो कुछ नहीं मगर फिर भी ..... और <br />...और मोहब्बत। उसके तो अपन लती हैं और हमेशा रहेंगे... ये तो अच्छी बात है पर इधर उधर देखभाल कर इसमें भी आजकल धोखे ही धोखे हैं ..... <br />बहुत बढ़िया लगी आपकी पोस्ट ..मजा आ गया पढ़ कर ... सोचता हूँ कि मैं भी लिखा शुरू कर दो ब्लॉग ....धन्यवाद जी .....vijayhttps://www.blogger.com/profile/13906162432146998498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-32832261634083701192011-02-04T05:00:19.201-08:002011-02-04T05:00:19.201-08:00मेरे हिसाब से जो लोग नशे का सहारा लेते हैं वे बहुत...मेरे हिसाब से जो लोग नशे का सहारा लेते हैं वे बहुत कमजोर इंसान होते हैं! बहानेबाजे करते हैं... आखिर जो लोग नशा नहीं करते वे भी तो जीवित रहते हैं फिर लत लगने पर न जाने किस मुहं से कहते हैं की छोड़ी नहीं जाती, अरे जब इंसान जीना छोड़ फाँसी के फंदे पर झूल सकता है तो नशा क्यूँ नहीं छोड़ सकता... <br />मैं तो यही कहूँगी की यदि नशा अच्छे काम करने का हो तो फिर इसमें बुरा क्या !!<br />बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट .. शुभकामनायेंकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-19272506388314906762011-02-03T04:13:31.046-08:002011-02-03T04:13:31.046-08:00...और मोहब्बत। उसके तो अपन लती हैं और हमेशा रहेंग......और मोहब्बत। उसके तो अपन लती हैं और हमेशा रहेंगे। <br /><br />हम भी...प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-61271722104752305402011-02-01T09:35:10.709-08:002011-02-01T09:35:10.709-08:00मन में निश्चय कर ले तब कुछ भी छोड़ना ,शायद दुष्कर ...मन में निश्चय कर ले तब कुछ भी छोड़ना ,शायद दुष्कर नहीं होता...क्यूंकि उस तरफ से मन ही उचाट हो जाता है...जो लोग नहीं छोड़ पाते, वे सच्ची कोशिश नहीं करते शायद.<br /><br />आप अखबार पढना छोड़ कर खुश हैं....और मुझे हमेशा अपराधबोध होता है...अगर समय ना मिल पाए...अखबार जमा होते जाते हैं...अपने पढ़े जाने की राह तकते...अब ऐसे भी सोच कर देखूंगी...कि कोई फर्क नहीं पड़नेवाला.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-34260701898398923262011-02-01T08:09:45.304-08:002011-02-01T08:09:45.304-08:00pyaar hai to phir kya gam hai !....pyaar hai to phir kya gam hai !....रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-56006132117119187832011-01-31T19:18:42.682-08:002011-01-31T19:18:42.682-08:00अपने जैसे लगते हो यार !!
कोई आदत और लत नहीं पाली आ...अपने जैसे लगते हो यार !!<br />कोई आदत और लत नहीं पाली आज तक ऐसी कोई चीज नहीं जिसके बिना गुजरा नहीं हो सकता ! सुबह की चाय मिल जाये तो अच्छा है न मिले तो याद नहीं आती ! बड़ा प्यारा लेख लिखा है एक विषय दिया है आपने !<br />शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-21794098132860693562011-01-31T01:59:51.888-08:002011-01-31T01:59:51.888-08:00राजेश जी अपना भी हाल ऐसा ही कुछ है...किसी प्रकार क...राजेश जी अपना भी हाल ऐसा ही कुछ है...किसी प्रकार की लत ने अभी तक तो पीछा किया नहीं और आगे करे इसकी सम्भावना अभी तक तो नज़र नहीं आती...मैं भी आपकी तरह पिछले दस सालों से घर से दूर हूँ लेकिन अपने में मस्त...लत उन्हें पड़ती हैं जो समय बिताना नहीं जानते हमें तो पढने लिखने से फुर्सत ही नहीं मिलती किसी चीज़ की लत कहाँ से पड़ेगी...और टी.वी. देखने से तो हम सोना अधिक पसंद करते हैं...अखबार से दोस्ती सिर्फ दस मिनट की है इस से अधिक नहीं...बाज़ार भाव कभी समझ आये नहीं इसलिए ख़बरें पढ़ कर छोड़ देते हैं...बकौल निदा फाजली साहब, हम तो भाई नादान की श्रेणी में आते हैं, हमें मालूम है दो और दो हमेशा चार नहीं होते कभी एक तो ग्यारह भी हो सकते हैं...<br /><br />दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है<br />सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला <br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-15989022352746435992011-01-30T22:52:28.691-08:002011-01-30T22:52:28.691-08:00जो बिन पाले पली रहे, वही लत अच्छी और मुबारक.जो बिन पाले पली रहे, वही लत अच्छी और मुबारक.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-64649410631546160702011-01-30T12:53:42.891-08:002011-01-30T12:53:42.891-08:00पता नहीं बुद्ध दोबारा कब मुस्कुराएंगे। पर हां सिगर...पता नहीं बुद्ध दोबारा कब मुस्कुराएंगे। पर हां सिगरेट ऐसे ही छोड दी थी.....रही बात मोहब्बत के नशे की..तो वो तो जन्मजात है बेशर्म सी.....Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-30222219194235931782011-01-30T10:00:05.607-08:002011-01-30T10:00:05.607-08:00लत लगी रहे, हम तो दुआ करेंगे।लत लगी रहे, हम तो दुआ करेंगे।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-64238376710435123322011-01-30T04:05:54.314-08:002011-01-30T04:05:54.314-08:00बड़े भाई! अब समझ में आया कि पानी कैसे अपनी सतह खोज ...बड़े भाई! अब समझ में आया कि पानी कैसे अपनी सतह खोज लेता है.. मैं पैदायशी शाकाहारी, एक सम्पूर्ण मांसाहारी परिवार में, मैं धूम्रपान से लाइट ईयर दूर जबकि परिवार के तीनों बड़े पुरुष सदस्य (दादाजी, पिताजी और चाचा जी)धूम्रपान के माहिर.<br />अपौन पर तो पैदायशी बुद्ध मुस्कुराते रहे हैं.. हाँ मोहब्बत की शराब ख़ूब छक कर पी है और उम्र भर यह मिलती रहे यही दोआ है मालिक से!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-60793082654728583972011-01-29T18:48:51.065-08:002011-01-29T18:48:51.065-08:00आप जीवन को सरल करते जा रहे हैं, आपसे तो सीखना पड़े...आप जीवन को सरल करते जा रहे हैं, आपसे तो सीखना पड़ेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-1175052966262720412011-01-29T09:51:55.726-08:002011-01-29T09:51:55.726-08:00साकाहारियो की मंडली में स्वागत है , चाहे नशे से दू...साकाहारियो की मंडली में स्वागत है , चाहे नशे से दूर रहना हो या मासाहार का त्याग करना हो यदि व्यक्ति खुद की इच्छा से इनसे दूर रहने की सोच ले तो ये कोई भी मुश्किल काम नहीं है किन्तु लोगों की इच्छा की कमी इसे एक मुश्किल काम बना देती है | १२ -१३ साल की उम्र तक मै भी मासाहारी थी या ये कहिये की बस घर में बाकि बच्चो को देख बचपना में खाती थी समझ आते ही मैंने छोड़ दिया इसलिए उसे छोड़ने में मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई किन्तु अपने पति को भी मैंने बड़ी आसानी से उसे छोड़ते देखा तब मुझे लगता था की कैसे लोग कहते है की ये आदत जल्दी छूटती नहीं शायद लोगों में खुद ही उसे छोड़ने की इच्छा नहीं होती है | बाकि ब्लोगिंग ने तो टीवी अखबार के साथ ही और कई चीजे छुड़ा दी है मेरी, पर अब ये नशा भी मेरे नियंत्रण में आ चूका है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com