मेरा विस्‍तृत परिचय यहां है

Saturday, December 29, 2012

2012 तुम न लौटना दुबारा

2012 तुम अब लौटकर न आना दुबारा। क्‍या दिया है तुमने सिवाय इस लानत और शर्मिन्‍दगी के। 'वह जो शेष था' वह भी नहीं रहा अब। अब तुम ही बताओ किस मुंह से..किस उम्‍मीद से.. हम स्‍वागत करें आते हुए तुम्‍हारे उत्‍तराधिकारी का..। लगता नहीं है कि वह भी कुछ लेकर आ रहा है..इस सड़ते हुए समाज के लिए..। अच्‍छा तो यही है कि यह जर्जर हो चुक व्‍यवस्‍था..  जल्‍द से जल्‍द नष्‍ट हो जाए ताकि उसके कबाड़ से आने वाले समय के लिए उपजाऊ खाद तो बने ।


Sunday, December 23, 2012

चन्‍द्रकान्‍त देवताले : समय का बयान


।। दो लड़कियों का पिता होते हुए ।।
पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी
मैं पिता हूं
दो चिड़ियाओं का जो चोंच में धान के कनके दबाए
पपीते की गोद में बैठी हैं
सिर्फ़ बेटियों का पिता होने से भर से ही
कितनी हया भर जाती है
शब्दों में