यह नाम है मेरे पहले कविता संग्रह का। 25 फरवरी से दिल्ली में आरंभ हो रहे विश्वपुस्तक मेले में यह आ रहा है। इसे ज्योतिपर्व प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। 27 फरवरी को वरिष्ठ कवि मदन कश्यप इसका विमोचन करेंगे। अगर आप दिल्ली में हों तो अवश्य आएं।
बड़े भाई! बधाई आपको, मैं दिल्ली में ही हूँ.. और उस कार्यक्रम में उपस्थित भी रहूंगा.. आपके आशीर्वाद से उस कार्यक्रम के संचालन का दायित्व अभी तक मेरे निर्बल कन्धों पर है.. यदि कोई आकस्मिक परिवर्तन न हुआ, तो आपका यह खडगसिंह ही, "वह जो शेष है" के विमोचन की उद्घोषणा करेगा!! आशीष दें!!
पहला काव्य संग्रह और कवि अनुपश्थित! यह तो घोर आश्चर्य है। बड़ी विवशता होगी अन्यथा यह संभव नहीं था। खैर..हमारी बधाई स्वीकार करें। ढेर सारी शुभकामनाएं..मन प्रसन्न हो गया जानकर। जरूरी काम से हैदराबाद जाना पड़ रहा है वरना पुस्तक मेला तो मैं नहीं छोड़ता।
अभी तक तो यही उम्मीद है कि मैं सदेह वहाँ उपस्थित रहूँगा और उसके चित्र भी आपको प्रेषित करूँगा। वहीं देखूँगा कि वह, जो शेष है-कितना है। यों भारतीय दर्शन तो यही कहता है कि 'पूर्णात् पूर्णमुदच्यते पूर्णमेवमवशिष्यते।' यानी वह, जो शेष है--पूर्ण है।
अरे राजेश चाचा गजब ! बहुत बधाई.. मैं पहुंचा रहूँगा.. आपसे मुलाक़ात भी होगी. बाबा मायाराम भे दिल्ली आ रहे हैं, हो सके तो उनके साथ आऊंगा.. :)
ReplyDeleteबधाई दोस्त ‘वह जो शेष है’ के प्रकाशन के लिए। 27 दोपहर मैं विमोचन के समय मौजूद रहने की कोशिश करूंगा। क्या तुम आ रहे हो?
ReplyDeleteनरेंद्र
नहीं मित्र, मेरा आना शेष ही रहेगा। बहरहाल आप वहां होंगे तो मैं समझूंगा मैं भी मौजूद हूं। शुक्रिया।
Deleteहार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteशुक्रिया राहुल जी।
Deleteहार्दिक बधाइयाँ राजेश जी………उस दिन आने का प्रोग्राम तो बन रहा है उम्मीद है मिलना हो जायेगा मगर आप तो होंगे ना वहाँ ?
ReplyDeleteअफसोस कि हम न होंगे।
Deleteबहुत बधाई, अब शीघ्र ही आपके साथ बैठना पड़ेगा, जो शेष बचा है, वह सुनने के लिये...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteशुक्रिया सुनील जी।
Deleteबड़े भाई! बधाई आपको,
ReplyDeleteमैं दिल्ली में ही हूँ.. और उस कार्यक्रम में उपस्थित भी रहूंगा..
आपके आशीर्वाद से उस कार्यक्रम के संचालन का दायित्व अभी तक मेरे निर्बल कन्धों पर है.. यदि कोई आकस्मिक परिवर्तन न हुआ, तो आपका यह खडगसिंह ही, "वह जो शेष है" के विमोचन की उद्घोषणा करेगा!! आशीष दें!!
तो बाबा भारती की लाज आपके कंधों पर ही है। उन्हें सबल और कार्यक्रम को सफल बनाएं यही कामना और शुभकामना है।
Deleteबधाई राजेश जी बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई राजेश जी...
ReplyDeleteऐसे पल आपके जीवन में और भी आयें ...
अनेकों शुभकामनाएँ..
सादर.
बहुत बहुत बधाई ॰
ReplyDeleteबधाई राजेश जी ...
ReplyDeleteमुबारक हो ।
ReplyDeleteबहुत- बहुत बधाई के साथ शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteबहुत बधाई । कलम यूं ही चलती रहे ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें!!
ReplyDeleteपहला काव्य संग्रह और कवि अनुपश्थित! यह तो घोर आश्चर्य है। बड़ी विवशता होगी अन्यथा यह संभव नहीं था। खैर..हमारी बधाई स्वीकार करें। ढेर सारी शुभकामनाएं..मन प्रसन्न हो गया जानकर। जरूरी काम से हैदराबाद जाना पड़ रहा है वरना पुस्तक मेला तो मैं नहीं छोड़ता।
ReplyDeleteअभी तक तो यही उम्मीद है कि मैं सदेह वहाँ उपस्थित रहूँगा और उसके चित्र भी आपको प्रेषित करूँगा। वहीं देखूँगा कि वह, जो शेष है-कितना है। यों भारतीय दर्शन तो यही कहता है कि 'पूर्णात् पूर्णमुदच्यते पूर्णमेवमवशिष्यते।' यानी वह, जो शेष है--पूर्ण है।
ReplyDeleteबधाई हो ,बधाई हो ,आप को बधाई हो !
ReplyDeleteआपकी छपी है कभी हमारी भी छपेगी ,
आपने लिख के सहेजी और मैने फाड दी,
आपने छू ली ऊंचाई ,हम जमीं पर रह गए ,
शुक्रिया मेरा कहो कि नाम आपका छप गया ,
जो मैं न फाड़ती रचनाएँ मेरी तो ,
नाम मेरा भी होता ‘’वह ,जो अवशेष है ‘’
चलों सफलता कि राह पर ,दिशा दिखा के हमको भी ,
छू चलो वो आसमां जो बादलों के पार दिखता नहीं ,
हे दुआ मेरी कि आप सदा कामयाब रहे ,
गुरु आप हमारे है हम इठला कर सबको कहे !
एक बार वापस
बधाई हो,बधाई हो ,हो बधाई आपको !
शुभकामना के साथ ,
मीना प्रजापत
आपसे ना मिल पाने का बहुत दुःख है,
ReplyDeleteचलिए कम से कम आपके किताब के विमोचन पर मैं वहाँ उपस्थित रहूँगा,
इस बात की खुशी है :)
आपको ढेरों बधईयाँ!!
aap ko bahut bahut bdhaai
ReplyDeleteSOYE HOOAO KO
ReplyDeleteJAGAATE RAHO.
LIKHATE RAHO
CHAPATE RAHO.
UDAY TAMHANE
B.L.O.
BHOPAL
बधाई!
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