गुल्लक
राजेश उत्साही की यादों,वादों और संवादों की
मेरा विस्तृत परिचय यहां है
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एक नजर में राजेश उत्साही
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Thursday, April 22, 2010
पृथ्वी दिवस :शरद बिल्लौरे की दो कविताएं
आज यानी 22 अप्रैल को
पृथ्वी दिवस
है। ऐसे में शरद बिल्लौरे की दो कविताएं बहुत याद आ रही है। पहली कविता सहजता से एक सवाल करती है और उसका जवाब देती है। दूसरी कविता हमें धरती के नायाब अंग से परिचित कराती है।
Thursday, April 15, 2010
देखूं कोई बच्चा तो उसकी ही झलक आए
कपड़ों से मुझे अपने बिटिया की महक आए
घर भर के नशेमन से बिटिया की चहक आए
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