tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post6735948510057709065..comments2023-11-18T06:23:22.197-08:00Comments on गुल्लक: दोस्तों ने लिखा....(एक)राजेश उत्साहीhttp://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-88907213300934743822013-11-13T00:36:27.800-08:002013-11-13T00:36:27.800-08:00नमस्ते सर , मुझे तो कविता पढ़ना अच्छा लगता है और यह...नमस्ते सर , मुझे तो कविता पढ़ना अच्छा लगता है और यही वजे है कि मैं लाइब्रेरी रोज आता हु एक दिन स्कूल छूट भी जाए तो क्या जाता है लेकिन लाइब्रेरी तो सन्डे को भी खुलनी चाहिए .<br />मुझे आपकी लिखी हुई चीज कुछ ज्यादा ही आची लगती है ,शायद इसलिए तो नहीं कि मैं आपसे एक बार आमने -सामने हो चूका हु ,बाते कर चूका हु ,आपका नंबर आपसे ले चूका हु , एक बार संस भी कर चूका हु ,थोड़ी -सी ही आपके मुँह से तारीफ़ सुन चूका हु .पता नहीं लेकिन आपकी लिखी हर चीज पढ़ने कि कोशिस करता रहा लेकिन पढ़ाई और लाइब्रेरी कि किताबो से टाइम नहीं मिल पाया , लेकिन अब टाइम है ,आज से पढ़ना स्टार्ट करता हु . Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16601908632947633101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-72879105056352347182011-09-01T20:01:43.427-07:002011-09-01T20:01:43.427-07:00आप भेजें या न भेजें ऐसा हो नहीं सकता कि आप ब्लॉग प...आप भेजें या न भेजें ऐसा हो नहीं सकता कि आप ब्लॉग पर लिखें और हम ना पढ़ें। देर..हो सकता है। मेरी आदत है कि जब कभी जिसकी याद आती है उसे मैं खूब पढ़ता हूँ..वह दिन उसी ब्लॉग को समर्पित होता है। कमेंट सभी पोस्ट पर करूं या न करूं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-31934879211044112212011-08-27T04:15:14.589-07:002011-08-27T04:15:14.589-07:00जो आपको पसन्द करते हैं वे आपकी रचनाओं को फीड रीडर ...जो आपको पसन्द करते हैं वे आपकी रचनाओं को फीड रीडर में रख आपके बिना भेजे पढ़ते हैं फिर उन्हें अपनी रचना क्या भेजना। <br /><br />हिन्दी चिट्ठाजगत की यह सबसे बड़ी मुश्किल है - लोगों को रचना पढ़ने के लिये भेजना। यह ई-शिष्टाचार के विरुद्ध है। <br /><br />सोचिये यदि सारे चिट्ठाकार सारी रचनाऔं को पढ़ने के लिये भेजने लगें तब प्रतिदिन सबको १००० ईमेल मिलेंगी और यह कितना कष्ददायक होगा।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-80603500535791127722011-08-14T14:56:45.379-07:002011-08-14T14:56:45.379-07:00आप जो लिखते हैं सार्थक और रोचक....अति रोचक होता है...आप जो लिखते हैं सार्थक और रोचक....अति रोचक होता है। जब भी ब्लाग पर आती हूं जरुर पढती हूं। आप लेखक और संपादक दोनों ही बेहतरीन हैं और इससे भी बेहतरीन हैं इंसान। <br />शुभकामनाएं।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-9755803352997780742011-08-10T09:41:39.567-07:002011-08-10T09:41:39.567-07:00आप लिखते रहें...मेल से सूचित भी करते रहें...हमें अ...आप लिखते रहें...मेल से सूचित भी करते रहें...हमें अच्छा ही लगेगा.संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-23921324598631211782011-08-09T08:53:23.742-07:002011-08-09T08:53:23.742-07:00जो लोग भी मन से लिखते हैं...सिर्फ टिप्पणियाँ पाने ...जो लोग भी मन से लिखते हैं...सिर्फ टिप्पणियाँ पाने के लिए नहीं...उन्हें पढना हमेशा ही अच्छा लगता है...<br /><br />आप लिखते रहें...मेल से सूचित भी करते रहें...हमें अच्छा ही लगेगा.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-76670880673334427962011-08-08T22:29:26.885-07:002011-08-08T22:29:26.885-07:00निराशाजनक परिस्थितियों में ये वचन बहुत काम आते है...निराशाजनक परिस्थितियों में ये वचन बहुत काम आते हैं ...<br />मुझे किसी के ब्लॉग लिंक की मेल का बुरा नहीं लगता ... समय की कमी से कभी पढ़ ना पाऊं या कमेन्ट ना कर पाऊं तब भी !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-44908067080618937262011-08-08T07:58:55.524-07:002011-08-08T07:58:55.524-07:00गुरुदेव!
सुबह पूरी की पूरी टिप्पणी पोस्ट करते ही ल...गुरुदेव!<br />सुबह पूरी की पूरी टिप्पणी पोस्ट करते ही लापता हो गयी. अब ऑफिस से लौटा तो लिखने बैठा हूँ.. माफी के साथ..<br />मेरी पद्धति यह है कि जिन ब्लॉग को मैं पसंद करता हूँ या जिन्हें लगातार पढ़ता रहता हूँ या तो उनका फोलोवर बन जाता हूँ या उनके लिंक अपने ब्लॉग रोल में जोड़ लेता हूँ. दोनों ही स्थिति में जैसे ही उन ब्लोग्स पर कोइ नई पोस्ट आती है, मेरे ब्लॉग रोल पे दिखने लगती है और मैं उसे अवसर मिलते ही पढ़ लेता हूँ. इसके लिए मुझे याद दिलाने के लिए मेल भेजने की कोइ आवश्यकता भी नहीं होती. <br />समय समय पर इस रोल को अपडेट करते रहने से नए ब्लॉग जुड़ते जाते हैं और पुराने जहां गति विधियां न हों छांट सकते हैं. अब देखिये, इस मामूली सी तकनीक के कारण ही मुझे कल आपकी यह पोस्ट दिखाई दी और जब मैंने देखना चाहा तो पता चला कि आपने उसे रोक दिया है. मैंने चैट में आपसे पूछ भी लिया. आपने बता दिया. इसका एक लाभ यह भी होता है कि यदि किसी तकनीकी खराबी के कारण आपकी पोस्ट नहीं दिख रही हो तो आपको लगेगा कि लोग नहीं आए पढ़ने जबकि कारण यह है कि उन्हें इत्तिला ही नहीं.<br />हाँ अगर आपको यदि लगे कि कोइ व्यक्ति विशेष लंबे समय से गैरहाजिर है, तो अवश्य मेल भेजकर उनका हाल पूछिए (हो सकता है बीमार हों, यह भी मेरा आजमाया हुआ नुस्खा है).. उन्हें अच्छा लगेगा कि भाई ने हाल पूछने के लिए मेल किया है सिर्फ पोस्ट की सूचना देने के लिए नहीं!<br />आशा है मेरी बात का बुरा नहीं मानेंगे!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-78362378505708133932011-08-08T06:02:02.709-07:002011-08-08T06:02:02.709-07:00उत्साही जी, यह सही है कि जो आपको पढना चाहता है वह ...उत्साही जी, यह सही है कि जो आपको पढना चाहता है वह आपको ब्रह्माण्ड में कहीं से भी खोज कर पढ़ लेगा मगर यह भी सही है कि कुछ को खबर दो तो ही वे पढ़ पायेंगे.<br />औरों का तो पता नहीं, पर हम तो पहली केटेगरी में हैं, ये मालूम हो!SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-22327503008458887702011-08-08T03:55:39.528-07:002011-08-08T03:55:39.528-07:00लोगो की बातो पर ना जाकर अपना कर्म करते रहना चाहिये...लोगो की बातो पर ना जाकर अपना कर्म करते रहना चाहिये राजेश जी और वो आप कर रहे हैं ……………और करते रहिये।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-47776159423590876072011-08-08T00:53:39.023-07:002011-08-08T00:53:39.023-07:00अच्छा हुआ जो ये पत्र हमें नहीं मिला वर्ना ऐसे पत्र...अच्छा हुआ जो ये पत्र हमें नहीं मिला वर्ना ऐसे पत्र लिखने पर हम बड़े भाई होने के नाते आपको वो डांट लगाते के आपको छटी का ढूध याद आ जाता...हम तो आपका लिखा पढने को तरसते रहते हैं भाई..और जिसने भी आपको एक बार पढ़ा है वो हमेशा आपको पढना चाहेगा...आपका लेखन है ही ऐसा, पाठक क्या करेगा...आप बिंदास सूचित किया करें...एक बार नहीं दस बार...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-32572652327395638252011-08-08T00:38:34.663-07:002011-08-08T00:38:34.663-07:00में आज भी अपनी बातो पर कायम हूँ आप लिखते रहे चाहे ...में आज भी अपनी बातो पर कायम हूँ आप लिखते रहे चाहे किसी को पसंद हो या ना हो अरे किसी से क्या करना है में तो कभी नहीं चाहता कि मेरा ब्लॉग कोइ पढ़े क्या जरूरत है अपने लिए और सिर्फ अपने लिए में लिखता पढ़ता हूँ....वरना जो तटस्थ है समय लिखेगा उनके भी अपराध..........हम जानते है ना. <br />बहुत प्यार सहित <br />संदीप नाईक देवास से .....Sandip Naikhttps://www.blogger.com/profile/12290615598026484269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-53026085875005820352011-08-07T23:29:46.156-07:002011-08-07T23:29:46.156-07:00राजेश जी
कई बार होता ये है की मित्रता के कुछ रूप...राजेश जी<br /> कई बार होता ये है की मित्रता के कुछ रूप को दूसरे समझ नहीं पाते है तो कुछ मित्रता के कुछ खास मायने ही समझते है विचारो का ये फर्क मित्रता निभाने में भी आ जाता है या ये कहे की हर रिश्ते निभाने में आ ही जाता है |<br />मै आप को नियमित पढ़ती हूं और प्रयास करती हूं की अपनी समझ के हिसाब से कुछ टिप्पणिया भी दे दू भले आप चाहे या ना चाहे |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-76523274668734042772011-08-07T21:27:59.351-07:002011-08-07T21:27:59.351-07:00राजेश भाई ,
निस्संदेह आपकी रचनाये पढने लायक होती ह...<b>राजेश भाई ,<br />निस्संदेह आपकी रचनाये पढने लायक होती हैं , आपका उपरोक्त पत्र मुझे नहीं मिला शायद और मिला होगा तो याद नहीं रहा होगा ! मगर मुझे अपनी मित्र मंडली में शामिल करने की कृपा करियेगा ! आशा है लेख की सूचना मेल से भेजते रहेंगे ! <br />आप जैसे मित्रों के कारण ब्लोगिंग में मन लगता है !</b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-61377812283365340622011-08-07T17:18:39.046-07:002011-08-07T17:18:39.046-07:00This comment has been removed by the author.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-34473955869695160542011-08-07T11:05:47.600-07:002011-08-07T11:05:47.600-07:00यह पत्र आपकी ऊर्जा का आधार बनें।यह पत्र आपकी ऊर्जा का आधार बनें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com