tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post1156713771481043570..comments2023-11-18T06:23:22.197-08:00Comments on गुल्लक: 96...व्यथित 'अन्तर्मन 'राजेश उत्साहीhttp://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-42747605115757918152011-12-08T07:20:30.353-08:002011-12-08T07:20:30.353-08:00बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-19115285120361504652011-05-18T07:48:22.907-07:002011-05-18T07:48:22.907-07:00सबसे पहले डॉ. वेद ‘व्यथित’ जी से परिचय और उनके कव...सबसे पहले डॉ. वेद ‘व्यथित’ जी से परिचय और उनके कविता संग्रह 'अन्तर्मन 'की समीक्षा के लिए आपका आभार.. डॉ. वेद ‘व्यथित’ जी जी ने जो आपको प्रति भेंट करते हुए पहले पन्ने पर उन्होंने लिखा है, ‘सहृदय,सजग साहित्यकार,समर्थ समीक्षक,बेबाक आलोचक व मेरे अभिन्न मित्र राजेश उत्साही को सादर भेंट।’ ...एकदम सटीक है . ...आप जैसे सह्रदय लोगों का मिलना आजकल बहुत मुश्किल है......<br />प्रस्तुति हेतु आभारकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-82651248829724672282011-05-15T03:57:36.247-07:002011-05-15T03:57:36.247-07:00कवि और उनकी रचनाओं से परिचय करवाने का आभार
अच्छी ...कवि और उनकी रचनाओं से परिचय करवाने का आभार<br />अच्छी लगी कविताएँrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-62045944631818505692011-05-15T03:41:57.830-07:002011-05-15T03:41:57.830-07:00पढ़ेंगे साहब अब वेदजी को। आपने जिस भी उद्देश्य ...पढ़ेंगे साहब अब वेदजी को। आपने जिस भी उद्देश्य से उस पुस्तक की चर्चा की, हमें एक खास शख्सियत का अप्रिचय मिला, धन्यवाद।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-53034174615348525232011-05-11T13:44:31.945-07:002011-05-11T13:44:31.945-07:00"मुझे सुनने में क्या आपत्ति है
तुम सुनाओ
मुझ..."मुझे सुनने में क्या आपत्ति है<br />तुम सुनाओ<br />मुझे देखने में क्या आपत्ति है<br />तुम दिखाओ<br />परन्तु जरूरी है<br />इसे देखने,सुनने और बोलने में<br />मर्यादा बनी रहे<br />हम दोनों के बीच"<br />व्यथित जी की रचनाओं से, सुंदर अभिव्यक्ति से रुबरु कराने के लिये आभार ।<br />सहृदय, सजग साहित्यकार, समर्थ समीक्षक, बेबाक आलोचक के विशेषण भी बिल्कुल सटीक हैं आपके लिये । व्यथितजी से सहमत हूं ।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-86466220693383243122011-05-11T05:25:49.850-07:002011-05-11T05:25:49.850-07:00@ नरेन्द्र जी आपकी बात तो सही है,पर इस मामले में ...@ नरेन्द्र जी आपकी बात तो सही है,पर इस मामले में मैं जरा अलग राय का हूं। यहां मैंने उनकी किताब की चर्चा इस उद्देश्य से नहीं की है। जो लोग उनका यह संग्रह पढ़ना चाहते हैं, उनसे अनुरोध है कि कृपया वेदजी के ब्लाग पर जाकर उनसे इस बारे में उपयुक्त जानकारी प्राप्त कर लें।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-43396548538812792252011-05-11T05:19:49.566-07:002011-05-11T05:19:49.566-07:00उत्साही जी ,वेद जी की कविताएं तो उत्कृष्ट हैं ही प...उत्साही जी ,वेद जी की कविताएं तो उत्कृष्ट हैं ही पर आपकी समीक्षा ने उन्हें और भी विशिष्ट बना दिया है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-49543302891039007892011-05-08T21:38:36.554-07:002011-05-08T21:38:36.554-07:00बढ़िया समीक्षाबढ़िया समीक्षासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-1786786635376686482011-05-08T17:03:05.813-07:002011-05-08T17:03:05.813-07:00कविताएं पढ़वाने और एक अच्छे ब्लॉग का लिंक देने क...कविताएं पढ़वाने और एक अच्छे ब्लॉग का लिंक देने के लिए आभार.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-37820019216765468712011-05-08T06:24:02.471-07:002011-05-08T06:24:02.471-07:00सम्पूर्ण समीक्षा को बड़े ही गौर से दो बार पढ़ा तो ...सम्पूर्ण समीक्षा को बड़े ही गौर से दो बार पढ़ा तो पाया कि राजेश जी ने जिस तरीक़े से वेद जी के इस संग्रह के अंतर्मन तक जाकर मर्म को मथकर नवनीतसम सम्मुख रख दिया है. इससे बेहतर समीक्षा और हो नहीं सकती. ठेठ मर्म को पकड़ा है बिना किसी लार-लगाव के. ईमानदार से कहूं तो राजेश जी ने अपना समीक्षक और आलोचनात्मक पक्ष बड़े ही सहज, सटीक, निष्पक्ष और जिम्मेदारीपूर्ण भाव से निर्वहन किया है.<br />वैसे तो वेद जी के नवगीत आदि पढ़ना हमेशा ही सुखद रहता है पर ये समीक्षा पढ़कर सम्पूर्ण संग्रह पढ़ने की तीव्र इच्छा जागृत हुई.<br />डॉ. वेद व्यथित जी को इस संग्रह के लिए कोटि-कोटि बधाइयाँ.<br />सम्मानीय राजेश जी से एक निवेदन करना चाहूँगा कि अगर साथ में प्रकाशक का नाम और मूल्यादि भी दर्शादें तो पाठकों को ये संग्रह मंगवाने में सुविधा रहेगी..<br />राजेश जी का पुनः आभार ! नमन !Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-92150587778465244882011-05-08T00:51:00.440-07:002011-05-08T00:51:00.440-07:00आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (9-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-80126178388007755452011-05-07T11:22:31.504-07:002011-05-07T11:22:31.504-07:00गुरुदेव..वेड व्यथित जी की समीक्षा के साथ आपने साखी...गुरुदेव..वेड व्यथित जी की समीक्षा के साथ आपने साखी के दिन याद दिला दिए जब सर्वत भाई से उलझ गया था मैं.. व्यथित साहब ने तो तभी से मुझे भी व्यथित कर रखा था, आज पुनः!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-6443332821902346072011-05-07T10:17:01.140-07:002011-05-07T10:17:01.140-07:00वेद व्यथित जी की कवितायें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है...वेद व्यथित जी की कवितायें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3145287657845619625.post-76006817110266532432011-05-07T10:04:40.275-07:002011-05-07T10:04:40.275-07:00व्यथित अंतर्मन शीर्षक पसंद आया भाई जी !
वेद व्यथित...<b>व्यथित अंतर्मन शीर्षक पसंद आया भाई जी !<br />वेद व्यथित को जब जब मैं पढ़ पाया हूँ , वे अपना स्पष्ट प्रभाव छोड़ते हैं ! <br /><br />ब्लोगरों के मध्य एक साहित्यकार की भूमिका से न्याय कर पाना आसान नहीं पर मुझे लगता है वेद व्यथित आसानी और सहजता से यह रोल निभा रहे हैं ! अच्छा लगा कि आप उनकी समीक्षा लिख रहे हैं और वे इसके योग्य भी हैं ! <br /><br />आप शायद उनका लिंक देना भूल गए हैं ! शुभकामनायें आपको ! </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com